जयपुर। विजयदशमी का पर्व मंगलवार यानी 24 अक्टूबर को भारतवर्ष में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके साथ ही सामाजिक सौहार्द और हिंदू-मुस्लिम एकता के कई उदाहरण आपने देखे होंगे। लेकिन जयपुर में आजादी के बाद से चली आ रही बीते 66 वर्षों की परंपरा एक मुस्लिम परिवार निभा रहा है। यह परंपरा है दशहरे पर जलाए जाने वाले रावण को बनाने की। जहां मथुरा का मुस्लिम परिवार आज सामाजिक समरसता का सबसे बड़ा उदाहरण कहा जा सकता है।
हिन्दू धर्म का मुख्य पर्व होने के बावजूद विजयदशमी पर रावण, कुंभकरण व मेघनाथ के विशाल पुतले तैयार करने के लिए लगभग बीस कारीगर यूपी के मथुरा से 66 वर्षों से यह मुस्लिम परिवार हर वर्ष जयपुर के आदर्श नगर स्थित श्रीराम मंदिर के दशहरे के लिए रावण बनाने का काम करता है। इस बार इस परिवार की पांचवीं पीढ़ी रावण बनाने का काम कर रही है। वहीं परिवार की अगली पीढ़ी भी इस काम को सीख रही है। इस परिवार के मुखिया चांद भाई का कहना है कि जब तक परिवार का वंश चलेगा, दशहरे के लिए रावण का पुतला उनका ही परिवार बनाएगा।
आदर्श नगर श्री राम मंदिर प्रन्यास ने 66 साल पहले दशहरा मेला शुरू किया था। तब से मंदिर में पहले नवरात्र से रामायण का मंचन और उसके बाद दशहरे के दिन रावण दहन किया जा रहा है। पहली बार दशहरे पर 20 फिट का रावण जलाया गया था। मुस्लिम परिवार के चांद भाई ने बताया कि पहली बार 66 वर्ष पहले जयपुर में रावण बनाने के लिए उसके दादा आए थे। उनके साथ ताऊ चाचा पिताजी आए थे। तब 20 फीट का रावण बनाया गया था, उसका मेहनताना 250 रुपए मिला था और इनाम के तौर पर 10 रुपए अलग से मिले थे। हमारे काम को देखते हुए मंदिर कमेटी ने उन्हे हर वर्ष रावण बनाने के लिए कहा था। तब से लगातार हमारे परिवार के लोग यहां रावण बनाने के लिए आ रहे हैं। पहले मेरे ताऊ आते थे, फिर पिताजी आने लगे थे। इसके बाद बड़े भाई और फिर वह आने लगा। अब हमारे बेटे और पोते आ रहे है। अगली पीढ़ी को भी काम सीखा रहे हैं ताकि यह परंपरा आगे भी बनी रहे।
महंगाई बढने के साथ ही महंगा होता जा रहा है रावण का पुतला
चांद भाई ने बताया कि विगत 66 साल पहले 20 फिट का रावण बनाया था, जिसके बाद हर वर्ष रावण की ऊंचाई बढ़ाई जाती रही है और इस वजह से खर्च भी अधिक आने लगा है। रावण बनाने वाले कारीगर राजा खान ने बताया कि इस बार भी रावण की ऊंचाई 105 फिट है। इसके अलावा कुम्भकर्ण और मेघनाद का एक-एक पुतला भी बनाया जा रहा है। जिनकी ऊंचाई रावण से कम होती है। ऊंचाई अधिक होने के चलते रावण को क्रेन की मदद से खड़ा किया जाएगा।
चांद भाई ने बताया कि कुछ लोग यहां नवजात बच्चे को आशीर्वाद दिलाने के लिए रावण की पूजा करने आते हैं। इस वजह से रावण का पुतला बनाते समय पवित्रता का ध्यान रखा जाता है। पुतला निर्माण में जो भी सामग्री इस्तेमाल की जाती है, वो कोरी (साफ सुथरी) होती है। कुछ भी पुराना सामान इस्तेमाल नहीं किया जाता।