‘मेंस्ट्रुअल वेल बीइंग’ के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए दीया कुमारी फाउंडेशन और प्रोजेक्ट बाला की एक संयुक्त पहल

जयपुर। समाज में वास्तविक परिवर्तन लाने के लिए, ग्रासरूट लेवल पर परिवर्तन की शुरुआत करना आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति को चेंजमेकर बनने के लिए सशक्त करना जरूरी है, और यह ही ‘पी से पीरियड्स’ प्रोजेक्ट का मूल है, जो दीया कुमारी फाउंडेशन (पीडीकेएफ) और प्रोजेक्ट बाला का एक कोलैबोरेटिव प्रयास है, जिसका उद्देश्य ‘मेंस्ट्रुअल वेल बीइंग’ के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है। पीडीकेएफ की जनरल सेक्रेटरी, गौरवी कुमारी ने जयपुर के बादल महल में आयोजित ‘पी से पीरियड्स’ प्रोजेक्ट के लॉन्च इवेंट में एक पैनल चर्चा के दौरान इस बात पर जोर दिया।

गौरवी ने मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता को तिरस्कार की नजर से नहीं देखने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए फाउंडेशन की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला कि किसी भी महिला को मासिक धर्म के कारण उसके काम में बाधा न आए। इसके अतिरिक्त, उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव लाने में डिजिटल और सोशल मीडिया द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने वास्तविक सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के साधन के रूप में डिजिटल साक्षरता के महत्व पर बल दिया।

इस कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता, कलाकार और लेखक, रूबल नेगी और प्रोजेक्ट बाला की संस्थापक सौम्या डाबरीवाला भी उपस्थित थीं। रूबल नेगी ने युवा लोगों, विशेषकर लड़कों को शामिल करने के महत्व और उन्हें मासिक धर्म के बारे में शिक्षित करने और मौजूदा वर्जनाओं को तोड़ने की आवश्यकता के बारे में बात की। उन्होंने लड़कियों की अगली पीढ़ी के विचारों और मूल्यों को नया आकार देने के लिए आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि महिलाएं अब अपने मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता आवश्यकताओं के बारे में अधिक मुखर हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

इस दौरान उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में अपने काम की अंतर्दृष्टि साझा की और इन क्षेत्रों में आने वाली विविध चुनौतियों का सामना करने पर चर्चा की। प्रोजेक्ट बाला के बारे में बात करते हुए सौम्या ने कहा कि यह इनोवेटिव मेंस्ट्रुअल हेल्थ के लिए समाधान प्रदान करता है, जो रोजगार पैदा करने के साथ-साथ पीरियड पॉवर्टी और पीरियड निरक्षरता को समाप्त करने के लिए काम कर रहा है। प्रोजेक्ट बाला ऐसे पैड बना रहा है जो बायोडिग्रेडेबल हैं और दो वर्ष तक दोबारा इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

यह मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता को सस्ता और सुलभ बना रहा है।पैनल चर्चा का संचालन प्रोजेक्ट बाला की कम्युनिकेशंस और आउटरीच लीड, पारुल कामरा द्वारा किया गया था। इस अवसर पर महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय की कार्यकारी ट्रस्टी, रमा दत्त; मेंस्ट्रुअल चैंपियंस और बड़ी संख्या में विभिन्न स्कूलों के स्टूडेंट्स भी उपस्थित थे।

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