भाजपा ने चित्तौड़गढ़ में कांग्रेस की राह की आसान

चित्तौड़गढ़। भाजपा ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट शनिवार को जारी करते हुए 83 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है जिसमें चित्तौड़गढ़ की पांच विधानसभाओं में से तीन विधानसभाओं के लिए प्रत्याशियों के नाम पर सहमति जारी की गई है। चित्तौड़गढ़ में अभी बेगू और कपासन विधानसभाओं के लिए प्रत्याशियों का चयन किया जाना बाकी है।

चित्तौड़गढ़ जिले में से चित्तौड़गढ़ से वर्तमान विधायक चंद्रभान सिंह का टिकट काट नरपत सिंह राजवी, निम्बाहेड़ा से पूर्व यूडीएच मंत्री श्रीचंद कृपलानी और बड़ी सादड़ी से वर्तमान विधायक ललित ओस्तवाल का टिकट काटकर पूर्व विधायक गौतम दक के नाम पर सहमति जताते हुए उन्हें प्रत्याशी बनाया गया है।

जिले की चित्तौड़गढ़ विधानसभा के सबसे मजबूत दावेदार विधायक चंद्रभान सिंह का टिकट काट कर भाजपा आलाकमान ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय भैरुसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी के नाम पर विश्वास जताया है। चित्तौड़गढ़ विधानसभा से चंद्रभान सिंह का टिकट काटने के पांच प्रमुख राजनीतिक कारण अनुमान लगाएं जा रहे है जो कि दिनभर चित्तौड़गढ़ में चर्चा का विषय बने रहें चंद्रभान सिंह के टिकट कटने के प्रमुख कारणों में से पहला कारण चंद्रभान सिंह का वसुंधरा खेमें में रहना, दूसरा कारण भारतीय जनता पार्टी की कार्यालय की जमीन को बेचने का आरोप चंद्रभान सिंह पर पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा लगाया जाना, तीसरा कारण भाजपा की विधायक नेत्री के प्रेम प्रसंग को उछालने के संबंध में विधायक पर आरोप भाजपा पदाधिकारी ने ही लगाया।

चौथा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी से चंद्रभान सिंह के राजनीतिक सम्बंध अच्छे नहीं होने से चंद्रभान की शीर्ष स्तर पर पैरवी कमजोर रही और चौथा कारण विधायक चंद्रभान के लगातार जीत कर मंत्री पद पर पहुंचने से रोकने के लिए बड़े भाजपा नेताओं द्वारा भीतरघात करना और पांचवां और अंतिम कारण विद्याधर नगर के विधायक नरपत सिंह राजवी का टिकट विद्याधर नगर से काटने के राजवी की नाराजगी को शांत करने के लिए उन्हें पूर्व विधानसभा क्षेत्र चित्तौड़गढ़ का टिकट वापस लौटा कर उन्हें शांत करना या फिर भाजपा के बड़े नेताओं द्वारा एक तीर से दो निशाने लगाकर चंद्रभान सिंह और नरपत सिंह राजवी दोनों के राजनीतिक भविष्य को समाप्त करना दिन भर शहर में चर्चा का विषय बना रहा। कुछ भी हो वसुंधरा की राजनीति खत्म करने के चक्कर में भाजपा ने राजस्थान में कांग्रेस की राह आसान कर दी है।

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