जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भले ही जीरो टॉलरेंस और भ्रष्टाचार मुक्त राजस्थान की बार करें लेकिन भ्रष्टाचार चरम पर है और रिश्वत का खुला खेल चल रहा है। आए दिन ट्रैप होते अधिकारी इसका एक बानगी है। वो खुद सिस्टम की पोल खोल रहे हैं, गहलोत भले चुनावी मैदान में अपनी योजनाओं के दम पर दोबारा सत्ता प्राप्ति के सपने देख रहे हैं लेकिन इस भ्रष्ट सिस्टम ने उनके सपने पूरे होने में बड़ा रोड़ा है। विभागों में चपरासी से लेकर बाबू तक चलता रिश्वत का खेल, पट्टे बनाने की एवज में रिश्वत, यहां तक फिक्स रेट तक थी।
वही विपक्ष इस मुद्दे को पहले ही हाथी हाथ लपक चुका है। अब चुनावी माहौल के बीच विपक्ष ने इस मुद्दे को हथियार बना लिया है क्योंकि जनता भ्रष्टाचार से कहीं न कहीं भुगत भोगी है। बीजेपी सचिवालय के पास योजना भवन के बेसमेंट में रखी अलमारी से मिले 1.31 करोड़ कैश और गोल्ड के मामले में बीजेपी अब गहलोत सरकार पर हमलावर हो गई है।
इसके अलावा हाल हीं में गहलोत के करीबी मंत्रियों और अधिकारियों के यहां ईडी की रेड में भी सिस्टम के कई मामले उजागर हुए हैं, वहीं मंत्री पीएचईडी और पीसीसी चीफ पेपर लीक घोटाले में ईडी के रडार पर हैं, कहीं न कहीं अब गहलोत के लिए भ्रष्टाचार चुनाव में दिक्कत पैदा कर रहा है। अब देखना यह है कि गहलोत खुद की सरकार को पारदर्शी और जीरो टॉलरेंस सरकार साबित कर पाएंगे, या जनता चुनाव में सरकार को इसका मुंहतोड़ जवाब देगी।
गहलोत के करीबी अफसर ने लगाई मुहर
राजस्थान में भ्रष्टाचार पर भले सीएम गहलोत जीरो टॉलरेंस की बात करें लेकिन उनके सबसे करीबी रहे वरिष्ठ आईपीएस ऑफिसर ने एक बयान देकर सिस्टम की पोल खोल दी। जिनके मीडिया में एक बयान देकर भूचाल ला दिया था जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात करती है, लेकिन ये बात झूठी है।
गहलोत सरकार में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने एक मीडिया हाउस से बात करते हुए कहा था कि मेरे एंटी करप्शन ब्यूरो का डीजी रहते, कई बड़ी मछलियों को पकड़ा गया, लेकिन जब वो ट्रैप होते थे तो कार्रवाई के वक़्त ऊपर से मुझे नाराज़गी का सामना करना पड़ता था। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार तो खनन विभाग में हुआ है।
भ्रष्टाचार के रिकॉर्ड मामले सामने आए
एक रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने साल 2022 में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत 511 मामले दर्ज किए। एसीबी ने पिछले तीन साल यानी 2020, 2021 और 2022 में कुल मिलाकर 1350 से अधिक मामले दर्ज किए हैं। उन्होंने बताया कि एसीबी ने पिछले तीन साल में 1350 से अधिक मामले और अकेले 2022 में 511 मामले दर्ज किए।