जयपुर को मिली नई सौगात: गांधीजी की अमूल्य विरासत को संरक्षित करती ‘गांधी वाटिका’ का उद्घाटन

जयपुर। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा सांसद राहुल गांधी एवं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार शाम जयपुर के सेंट्रल पार्क में बनी ‘गांधी वाटिका’ का लोकार्पण किया। गहलोत ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में देश में गांधी दर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार ने महात्मा गांधी के विचारों व मूल्यों से नई पीढ़ी को रूबरू करवाने के लिए यह अभिनव पहल की है।

गहलोत गांधी वाटिका के लोकार्पण के बाद देशभर से आए 200 से अधिक प्रख्यात गांधीवादियों को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान खड़गे, राहुल गांधी एवं मुख्यमंत्री ने गांधी वाटिका का अवलोकन किया तथा वहां आयोजित प्रार्थना सभा में शामिल हुए।

जन-जन तक पहुंचेंगे गांधीजी के विचार

खड़गे ने कहा की गांधीजी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की यह पहल सराहनीय है। अन्य राज्यो को भी इसका अनुसरण करना चाहिए। आज के दौर में जब वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र पर प्रहार हो रहे हैं, ऐसे संस्थान एक आशा की किरण के रूप में देश को एक नई दिशा देने का कार्य करते हैं। आज हम सब को मिलकर गांधीजी के आदर्शो को जीवित रखना है।

डर का सामना करने की सीख

राहुल गांधी ने कहा कि गांधीजी को एक व्यक्ति के रूप में ना देखकर जीवन जीने के तरीके के रूप में देखना चाहिए। जीवन में भय का स्थान नहीं होना चाहिए। आज की युवा पीढ़ी को गांधीजी के जीवन से डर का सामना करने की सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति की आवश्यकताएं सीमित होने पर अहंकार भी समाप्त हो जाता है।

उन्होंने कहा कि कोई भी परिस्थिति स्थाई नहीं होती और साहस के साथ उसका मुकाबला करने से बदलाव जरूर आता है। आज गांधीजी और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा गौरवशाली भारत के निर्माण के लिए बताए गए मार्ग के अनुसरण की आवश्यकता है। इस दौरान श्री गांधी ने देश के कोने-कोने से आए गांधी विचारकों का नवीन पीढ़ी में गांधी दर्शन के संचार हेतु किए जा रहे प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया।

गांधी वाटिका से संरक्षित होगी राष्ट्रपिता की विरासत

सेंट्रल पार्क में 85 करोड़ रुपए की लागत से बनी गांधी वाटिका की विषय वस्तु गांधीवादी विचारकों की समिति के मार्गदर्शन में तैयार की गई है। वाटिका के भूतल पर अंग्रेजों के भारत आगमन से लेकर गांधीजी के दक्षिण अफ्रीका प्रवास तक के कालखंड को 5 हिस्सों में अंकित किया गया है। वहीं प्रथम तल पर गांधीजी के भारत में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों एवं उनके दर्शन को प्रदर्शित किया गया है। द्वितीय तल पर विशेष पुस्तकालय, सेमिनार हॉल एवं कॉन्फ्रेंस कक्ष निर्मित किए गए हैं।

कॉन्फ्रेंस कक्ष को क्रमशः ‘राजस्थान ने पकड़ी गांधी की राह’, ‘गांधी:

अपने आइने में मैं’ एवं ‘गांधीजी के सपनों का संसार’ तीन खंडों में बांटा गया है। भवन निर्माण में सादगी एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु विशेष रूप से मिट्टी की दीवारें तैयार की गई हैं। वाटिका में केलू की छत लगाई गई है। साथ ही, वाटिका में 14 हजार पेड़-पौधे लगाए गए हैं। वाटिका में कैफेटेरिया, खुला नाट्य मंच, विमर्श कक्ष जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।

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