जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित लोकरंग महोत्सव में कला प्रेमियों को विभिन्न प्रदेशों की लोक कलाओं से रूबरू होने का अवसर मिल रहा है। लोकरंग के तीसरे दिन मंगलवार को 230 से अधिक कलाकारों ने अपने हुनर का प्रदर्शन किया। वहीं शिल्पग्राम में लगे राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में आगंतुकों की आवाजाही बनी रही।
शिल्पग्राम के मुख्य मंच पर ग्रामीण भवाई, मांड गायन, घूमर, चरी नृत्य, बीजणी व मिश्र रास की प्रस्तुतियां हुई। मध्यवर्ती में राष्ट्रीय लोक नृत्य समारोह के अंतर्गत 7 राज्यों के 9 लोक नृत्य पेश किए गए। उत्तर भारत में स्थित उत्तराखंड के छोलिया नृत्य से समारोह की शुरुआत हुई। पहाड़ी सरलता को दर्शाते हुए जम्मू-कश्मीर के कलाकारों ने डोगरी नृत्य पेश किया। देवी की आराधना के समय किए जाने वाले डेरु नृत्य ने राजस्थान की लोक संस्कृति से साक्षात्कार करवाया। डेरु, भगवान शिव के डमरू से प्रेरणा लेकर ईजाद किया गया लोक वाद्ययंत्र है। उत्साह व हर्ष से भर देने वाले नृत्य में देवी को राजा जगदेव द्वारा शीषदान करने के प्रसंग का वर्णन किया गया।
गुजरात से आए कलाकारों ने डांगी नृत्य में आदिवासी संस्कृति को मंच पर साकार किया। डांगी जनजाति की ओर से यह नृत्य किया जाता है। पारंपरिक परिधान में तैयार कलाकारों ने जो पिरामिड बनाए तो सभी रोमांचित हो उठे। तमिलनाडु के कड़घम नृत्य में नर्तकों ने करतब से सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। भवाई की भव्यता ने मंच की शोभा बढ़ाई। हरियाणा के घूमर के बाद पंजाब के कलाकारों ने लुड्डी की प्रस्तुति में मधुर गीत पर युवक-युवतियों की नोंक-झोंक को दर्शाया। तमिलनाडु के कलाकारों की प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
गौरतलब है कि जवाहर कला केन्द्र में 11 दिवसीय लोकरंग 8 नवंबर तक लोक संस्कृति की सुगंध बिखेरता रहेगा। शिल्पग्राम में प्रात: 11 बजे से रात्रि 10 बजे तक राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला जारी रहेगा। मेला हस्तशिल्प उत्पादों की प्रदर्शनी से सजा रहेगा, यहां मुख्य मंच पर सायं 5:30 बजे से लोक विधाओं की प्रस्तुति होगी। मध्यवर्ती में सायं सात बजे से राष्ट्रीय लोक नृत्य समारोह के तहत विभिन्न राज्यों से आए लोक कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। मध्यवर्ती में होने वाली प्रस्तुति का केन्द्र के फेसबुक पेज पर लाइव प्रसारण किया जाएगा।