राजस्थान के सबसे अनूठे कल्चरल फेस्टिवल ‘मोमासर उत्सव’ ने जीता कला प्रेमियों का दिल

जयपुर। बीकानेर के मोमासर कस्बे में आयोजित ‘मोमासर उत्सव’ कई मायनों में एक अनूठा और अलग तरह का कल्चरल फेस्टिवल है। देश के इस सबसे बड़े ग्रामीण लोक संगीत आयोजन में ना कोई छोटा है, ना कोई बड़ा और ना ही कोई वीआईपी। यहाँ दर्शक ज़मीन पर बैठकर देश-दुनिया के नामी लोक कलाकारों को देखते सुनते हैं और उनकी अद्भुत कला को देखकर तालियाँ नहीं थमती।

ऐसे दुर्लभ गीत-संगीत और कलाओं से रूबरू होने की कोई फीस या कोई टिकट नहीं। यह आयोजन सबके लिए फ्री है। हर साल देश-दुनिया से हज़ारों दर्शक कला की इस अनूठी दुनिया से आत्मसात करने आते हैं। उत्सव अनूठा इसलिए भी है क्योंकि इसका आयोजन गाँव की हवेलियों में, खुले रेगिस्तानी मैदान में, गाँव के जोहड़ जैसी सहज और सुंदर जगहों पर होता है। उत्सव की सबसे बड़ी बात है कि आयोजन में चाहे सजावट हो, आगंतुकों का खान-पान हो, रहने की व्यवस्था हो सब स्थानीय रूप से मौजूद संसाधनों से ही होता है।

उत्सव के दूसरे दिन सुबह द सैंड्स में सुमित्रा दास के भक्ति गीतों ने रेगिस्तान की मिट्टी में भक्ति का अमृत रस घोल दिया। दोपहर को हवेली चौक में पतासी देवी-संतरा देवी भोपी द्वारा भजन प्रस्तुति दी गई। इसके बाद इस्माइल खां लंगा ने सारंगी पर लंगा समुदाय के लोक गीतों से दर्शकों को रिझाया।

रात को ताल मैदान में हज़ारों दर्शकों की मौजूदगी के बीच संगीता सिंघल और समूह ने घूमर और नोरंग लाल व समूह ने चंग नृत्य की प्रस्तुति दी। इटेलिअन लोक संगीत ग्रुप गाई साबेर की राजस्थानी कलाकारों के साथ जुगलबंदी ने एहसास कराया कि संगीत को सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता है।

शिवम डांस अकेडमी के मंजीरा नृत्य और मांगीलाल-पवन कुमार और साथियों के ढोल-थाली नृत्य ने राजस्थान की संस्कृति को साकार किया। श्री चंद्र मोहन भट्ट के निर्देशन में महिला कलाकारों ने डिवाइन स्ट्रिंग्स में सितार पर सुरों की मनमोहक तान छेड़ी। देर रात तक चले कार्यक्रम में रामगोपाल सपेरा और साथियों ने संगीतमय बीन नृत्य किया। इसके बाद कथक-लोक संगीत जुगलबंदी और लंगा-मांगणियार संगीत जुगलबंदी को देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध होकर कह उठे ‘भई वाह!ऐसा गीत संगीत अब तक नहीं देखा’।

दिनभर दर्शकों को’ ‘धुंधलाती धुनें’ में लोक वाद्य निर्माण और कलाकारों की अनसुनी कहानियाँ सुनने का अवसर मिला। मोमासर हाट बाज़ार के उत्पादों में भी दर्शकों ने खासा रुचि दिखाई।

उत्सव का समापन तीसरे दिन राजू देवी, राकेश भोपा और साथियों के भक्ति संगीत से हुई। ‘मोमासर उत्सव’ का इस बार यह 11वां संस्करण है। यह उत्सव राजस्थान की संस्कृति, अद्भुत कला और दुर्लभ लोक संगीत को बरसों से सहेजता आ रहा है। यह राजस्थान का एकमात्र ऐसा आयोजन है जिसमें इतने बड़े स्तर पर समुदाय और आमजन की सहभागिता रहती है।

गौरतलब है कि मोमासर उत्सव का आयोजन ‘जाजम फाउंडेशन’ के द्वारा किया जाता है। इसके मुख्य प्रायोजक सुरवि चैरिटेबल ट्रस्ट है। इसके सह-प्रायोजक संचेती ग्रुप हैं। नागपाल इवेंट्स-जयपुर, विश-मेकर्स-दिल्ली, लोक-धुनी फाउंडेशन, डांसिंग पिकॉक और मर्करी कम्यूनिकेशन इस उत्सव के आयोजन सहयोगी हैं।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

25,000FansLike
15,000FollowersFollow
100,000SubscribersSubscribe

Amazon shopping

- Advertisement -

Latest Articles