जयपुर। दीपावली पर घर सजाना हो या अपने वार्ड रोब में आकर्षक आउटफिट शामिल करने हो, हैंडमेड ज्वैलरी खरीदनी हो और साथ में मनोरंजन भी चाहिए तो चले आइएं शिल्पग्राम में लगे राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में। 8 नवंबर तक लगने वाले मेले में नेशनल और स्टेट अवॉर्डी हस्तशिल्पियों ने अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगायी है। 110 स्टॉल्स पर सुबह 10 बजे से रात्रि 11 बजे तक आप अलग-अलग स्टेट के हैंडीक्राफ्ट आइटम देख व खरीद सकते हैं। साथ ही विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद भी ले सकते हैं। लोक कला को समर्पित 26वें लोकरंग महोत्सव के तहत आयोजित इस मेले में शाम 5:30 बजे से विभिन्न लोक कलाओं की प्रस्तुतियां भी हो रही है। यहां बहुरूपिया, कठपुतली आदि कलाएं भी देखने को मिल रही है।
राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में महिलाओं की सशक्त भागीदारी से सामने आता है कि हस्तशिल्प क्षेत्र महिलाओं को रोजगार देने में सफलता हासिल कर रहा है। मेले में 4 नेशनल अवॉर्डी व 11 स्टेट अवॉर्डी समेत 156 हस्तशिल्पियों ने हिस्सा लिया है इनमें से 90 महिलाएं है। स्वावलंबी बनने की इनकी ललक ने अपनी साथी महिलाओं को भी रोजगार प्रदान किया है। गुजरात से आई अर्चना शर्मा मड वर्क करती हैं। 150 रुपए से शुरू होने वाले एमडीएफ बोर्ड पर मिरर वर्क से वे डेकोरेटिव आइटम तैयार करती हैं।
अर्चना का कहना है कि वे 10 साल से यह काम कर रही हैं, 10 अन्य महिलाओं को वे रोजगार दे रही हैं। पंजाब की मनप्रीत 20 महिलाओं के साथ फेल्ट फेब्रिक से तैयार खिलौने बना रही हैं। वहीं जयपुर की प्रेरणा सूरी ने सांगानेरी प्रिंट की शॉर्ट कुर्ती, सूट और पर्स आदि डिसप्ले किया है जो 150 रुपए से शुरू है। प्रेरणा का कहना है कि साथी महिला कामगरों को आने-जाने में दिक्कत ना हो इसलिए उनके घर पर ही सिलाई मशीन लगवायी है।
लोग फिट रहे इस बात को ध्यान में रखकर जयपुर की अरुणा शर्मा ज्वार, बाजरा, रागी, काले गेहूं और मल्टी ग्रेन कुकीज लेकर आई हैं। झालावाड़ की मोनिका ने बताया कि उनके साथ 1200 महिलाएं जुड़ी हुई हैं वे सभी वेस्ट न्यूजपेपर कटिंग्स और जूट से पर्स आदि तैयार कर रहे हैं।
जयपुर की मेनका शर्मा ने ‘साम्ब्रानी कप्स’ की स्टॉल्स लगायी है। वे बताती है कि गोबर से तैयार यह कप नेगेटिविटी रिमूवर की तरह काम आता है। इसमें लौंग, कपूर और इलायची जैसी घरेलू औषधियां डालकर जलाने से नकारात्मकता दूर होती है। गरिमा शर्मा ने अपनी शारीरिक अक्षमता के आगे हार नहीं मानी और अपनी पेंटिंग्स व डेकोरेटिव कैंडलस को यहां डिस्प्ले किया। इन महिला हस्तशिल्पियों ने नेशनल व स्टेट अवॉर्ड भी अपने नाम किए हैं। नेशनल अवॉर्डी पुतुल दास मित्रा ने धान से ज्वैलरी बनायी है। वे कहती है कि अपने साथ 11 महिलाओं को लेकर वे ये स्पेशल ज्वैलरी बना रही है। सस्ते दाम में मिलने वाली यह आकर्षक ज्वैलरी लंबे समय तक चलती है और वॉशेबल है।
राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में बनारस, कोलकाता, मध्य प्रदेश, आसाम के प्रचलित फैब्रिक की साड़ियां, कश्मीर लद्दाख के वुलन आइटम, लकड़ी के सजावटी सामान, हैंडमेड ज्वैलरी, ईको फ्रेंडली खिलौने, टेराकोटा के उत्पाद, जूट, एम्ब्रोएडरी, क्रोशे, लिपोन आर्ट वर्क, ड्राइ फ्लावर, पेपरमेशी, खादी, डेकोरेटेड दिए आदि हस्तशिल्प उत्पाद उपलब्ध है। मूंगा, कतान, शिफोन और जोर्जट जैसे रेशम की साड़ियां 1000 रुपए से शुरू है। इसी के साथ चंदेरी, माहेशवरी और टसर आदि फेब्रिक की साड़ियां 500 से 30000 हजार तक मिल रही है। मीनाकारी, काशीदकारी आदि प्रोडक्ट्स भी लोगों की पसंद बन रहे हैं।