रसोई से लूढ़का प्याज, दिसम्बर तक 100 रुपए के पार होगी प्याज की कीमत

जयपुर। राजधानी जयपुर में शादी के सीजन से पहले ही प्याज के भाव आसमान छुने लेगे है। लेकिन इसने निपटे के लिए सरकार ने कुछ अहम फैसले भी लिए है। बताया जा रहा है कि इस बार प्याज की पैदावार काफी कम हुई है और प्याज की मांग बाजार में काफी ज्यादा है। जिसके चलते प्याज की कीमत आसमान छुने लगे है।

किसानों को दो सालों से हो रहा है प्याज में बुआई में नुकसान

जानकारी के अनुसार दक्षिणी राज्य कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में खरीफ प्याज की बुआई काफी कम हुई है और कम बरसात के कारण पिछले दो सालों में किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है। कम बारिश होने से प्याज का उत्पादन और भी कम हो गया है। इसके पीछे एक ये भी कारण रहा है कि पिछले मानसून में नासिक और उत्तराखंड जैसी जगहों पर सामान्य से ज्यादा बरसात हुई और इस कारण भी यहां प्याज की फसल नष्ट हो गई। जिसके कारण बाजारों में आवक कम होने के कारण प्याज का मूल्य बढ़ गया।

लोकेल पैदावार है कम

सब्जी विक्रेता लल्लू ने बताया कि नासिक और उसके आसपास से आने वाला प्याज इस बार नहीं जयपुर नहीं पहुंच पा रहा है ।कई जगहों से कम बारिश हुई तो प्याज की पैदावार नष्ट हो गई और कुछ जगहों पर अत्याधिक बरसात के चलते भी प्याज की पैदावार नहीं हो पाई। जयपुर में चौमू और आसपास के इलाकों से भी प्याज की सप्लाई होती थी। लेकिन इस बाद यहां की खरीफ की फसल में भी दम नहीं है। मंडी में प्याज की आवक ना के बराबर है।

पिछले दस दिन में बढ़ी प्याज की कीमतें

स्थानीय व्यापारी चंद्र प्रकाश ने बताया कि प्याज की कीमतों में दस दिन में काफी बदलाव आया है। महाराष्ट्र से आने वाला प्याज जिसकी औसत कीमत दस दिन में 45 से 48 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई। वहीं अहमदाबाद से आने वाला प्याज जिसकी कीमत दस दिन पहले 35 रुपए थी वहीं अब बढ़कर 48 से 50 रुपए हो गई है। वहीं कुछ मंडियों में ये प्याज 50 सो 70 रुपए तक बेचा जा रहा है। यदि आवक इसी तरह से कम रहीं तो दिसम्बर माह तक ये प्याज 100 रुपए के पार पहुंचने की आशंका जताई जा रही है।

केंद्र सरकार ने लिया ये फैसला

इस साल केंद्र सरकार ने अगस्त माह में खरीफ फसल की देरी और कम बुवाई के कारण बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत का शुल्क लगाया था। जो 31 दिसम्बर तक लागू रहेगा। केंद्र सरकार ने प्याज की घरेलू उपलब्धता में सुधार के लिए बफर स्टॉक सीका को तीन लाख टन से बढ़ाकर 5 लाख टन करने का भी फैसला लिया है।

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