जयपुर। श्री राम मंदिर प्रन्यास , श्री सनातन धर्म सभा के तत्वावधान में नौ दिवसीय रामलीला के अंतिम दिवस रामेश्वर स्थापना ,अंगद रावण संवाद ,लक्ष्मण मूर्छा कुंभकरण वध की लीला का मंचन हुआ। संयोजक केशव बेदी ने बताया कि जाम्बवान जी ने नल और नील भाइयों को बुलाया और उनसे समुद्र पर सेतु बांधने के लिए कहा ।नल और नील ने वानरों को बुलाया और कहा कि वृक्षों और पर्वतों के समूह को उठा लाइए ।उन्होंने मिलकर सुंदर सेतु बना दिया।सेतु बना हुआ देख श्री राम ने कहा ..
परम रम्य उतम यह धरनी ।
महिमा अमित जाइ नहिं बरनी।।
करिहउं इहां संभु थापना ।
मोरे हृदय परम कल्पना।।
यह भूमि रमणीय और परम उत्तम है मैं यहां पर शिवजी की स्थापना करूंगा ।भगवान ने वहां रामेश्वर भगवान की स्थापना की ।भगवान राम के प्रताप से समुद्र पर पत्थर भी तैरने लगे उसे सेतु को पार कर सेना आगे बढ़ने लगी श्री रघुवीर सेना सहित समुद्र के पार हो गए।
इधर जाम्बवान जी ने प्रभु श्री राम जी को कहा कि आप सर्वज्ञ है मेरी राय में अंगद को दूत बनाकर भेजिए। अंगद रावण के दरबार में पहुंचा ।अंगद ने रावण को अनेक युक्तियों से समझाया किंतु रावण की मति मारी गई थी ।
वह अपनी बड़ाई स्वयं किए जा रहा था।क्रोधित हो कर अंगद ने अपना पैर धरती पर जमा कर कहा कि इस दरबार में है कोई वीर जो मेरा पैर हटा पाए पर सब सभासद और राक्षस हार गए ।अंत में रावण स्वयं उठा और अंगद का चरण पकड़ने लगा। अंगद ने कहा कि मूर्ख मेरे चरण नहीं राम जी के चरण स्पर्श कर। इसके बाद लक्ष्मण मूर्छा, कुंभकरण वध की लीला हुई । मेघनाद वध की लीला के अंतर्गत लक्ष्मण जी ने भगवान का स्मरण किया ।
सुमिरि कोसलाधीस प्रतापा ।
सर संधान कीन्ह करि दापा ।।
छाड़ा बान माझ उर लागा ।
मरती बार कपटु सव त्यागा।।
भगवान राम के प्रताप का स्मरण कर लक्ष्मण जी ने बाण का संधान किया ।बाण छोड़ते ही मेघनाद की छाती के बीच में लगा ।मरते समय उसने सब कपट त्याग दिया।अहंकारी मेघनाद का अंत हुआ ।
उपाध्यक्ष अनिल खुराना ने बताया कि मंगलवार को दशहरा मैदान में रावण दहन का कार्यक्रम होगा मध्यान्ह 3:00 बजे शोभायात्रा आरंभ होगी जो विभिन्न मार्गो से होती दशहरा मैदान पहुंचेगी ,जहां प्रभु राम रावण की नाभि में अग्निबाण चलकर उसका अमृत कुंड सुखायेंगे और शाम 7.30 बजे रावण दहन का कार्यक्रम होगा।