श्रीकृष्ण-बलराम मंदिर में शनिवार को होगा राधा रानी भव्य प्राकट्य उत्सव

जयपुर। जगतपुरा के हरे कृष्ण मार्ग स्थित श्रीकृष्ण-बलराम मंदिर में शनिवार को सम्पूर्ण ब्रह्मांड की आदिशक्ति राधारानी के प्राकट्य उत्सव का भव्य आगाज होगा। दक्षिण भारत के मशहूर कांचीपुरम से मंगवाई विशेष सिल्क व वृंदावन धाम से आने वाली रंग बिरंगी पोशाकों से राधा रानी का नयनाभिराम श्रृंगार होगा। वहीं शाम को 108 कलशो से अभिषेक का खास आकर्षण रहेगा और महाआरती होगी । रात्रि को मुख्य मंदिर परिसर में दिव्य पालकी में भगवान के दिव्य दर्शन होंगे।

मंदिर के अध्यक्ष अमितासन दास ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महामहोत्सव के बाद श्री कृष्ण-बलराम मंदिर में राधाष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है। इस बार भी राधा अष्टमी को विशेष तौर पर मनाने के सभी इंतजाम मंदिर में किए गए हैं। मंदिर परिसर के गर्भ ग्रह को और नए भवन के अभिषेक स्थल सुधर्मा हाल को बेंगलुरु और दिल्ली से मंगाए गए विशेष फूलों से सजाया जाएगा।

राधा अष्टमी के पावन पर्व की शुरुआत सुबह मंगला आरती के दिव्य दर्शनों से होगी। मंदिर के गर्भगृह में स्थित भगवान की प्रतिमाओं को दिव्य दर्शनों के लिए सजाया जाएगा। इस अवसर पर राधारमण जी को नए भवन के सुधर्मा हाल में स्थित एक भव्य मंच पर ले जाया जाएगा। सुबह से ही मंदिर में हजारों भक्त दर्शन के लिए आएंगे ।

महाभिषेक का होगा खास आकर्षण

कार्यक्रम की खास बात नए भवन के सुधर्मा हाल में होने वाला अभिषेक रहेगा। महाभिषेक में भगवान कृष्ण एवं राधा जी का विशेष 108 कलश से नारियल पानी पंचामृत पंचगव्य फलों के रस से अभिषेक होगा। अभिषेक के अवसर पर कृष्ण संकीर्तन एवं हरे कृष्ण महामंत्र पर मृदंग करताल बांसुरी जैसे यंत्रों की मधुर स्वर लहरियों पर भक्त नाचते गाते आकर्षण पैदा करेंगे । इससे पूर्व शाम को भगवान को दिव्य व विशिष्ट भोग अर्पित किए जाएंगे।

भव्य अभिषेक एवं महाआरती में मंदिर के अध्यक्ष अमिता सन दास ,उपाध्यक्ष अनंत शेष दास मंदिर के अन्य कृष्ण भक्त सहित अभिषेक करेंगे। विशेष राधिका अष्टकम भजन गाते भक्त राधे रानी की जय बरसाने वाली की जय हरे कृष्ण महामंत्र पर वाद्य यंत्रों मुरली की मधुर तान पर कृष्ण नृत्य करते हुए मनमोह लेंगे। अभिषेक के बाद महाआरती होगी । भगवान श्रीकृष्ण एवं राधा रानी के जयघोषों से मंदिर परिसर गूंज उठेगा।

यह है राधा अष्टमी का महत्व

अध्यक्ष दास ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य उत्सव के ठीक 15 दिन बाद उनकी आदि शक्ति राधारानी भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की पावन अष्टमी को प्रकट हुई थी। इस अवसर पर उनके पिता वृषभानु महाराज के यहां भव्य उत्सव का आयोजन किया गया था। उसी समय से राधाष्टमी ब्रज अंचल सहित पूरे भारत में मनाने की परंपरा रही है । वृंदावन में सबसे भव्य राधा अष्टमी उत्सव मनाया जाता है।

इसी प्रकार जयपुर के श्री कृष्ण बलराम मंदिर में मनाए जाने वाला राधा अष्टमी का विशेष महत्व है क्योंकि राधा रानी संपूर्ण ब्रह्मांड की आदिशक्ति है। वह करुणा की सागर है। राधा रानी के बिना कृष्ण भक्ति को नहीं पाया जा सकता इसलिए कृष्ण भक्त को अपने आप को राधा रानी को समर्पित कर देना चाहिए तभी राधारानी प्रसन्न होंगी और फिर कृष्ण की भक्ति मिल सकेगी। राधा अष्टमी के दिन मंदिर में और घरों में भक्त उपवास रखेगे।

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