जयपुर। राजधानी जयपुर में कृष्ण भक्तों ने राधा रूक्मणी की प्रतिमा के संग बहुत से मंदिर देखे देखे होगें । लेकिन आमेर में एक मात्र ऐसा मंदिर है जिसमें कृष्ण जी के साथ उनकी भक्त मीरा बाई की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर की प्रतिमा को खंडित करने के लिए मेवाड के बाहरी आक्रमणकारियों ने कई बार प्रयास भी किए ।लेकिन उन्हे सफलता नहीं मिल पाई। ये देश का इकलौता मंदिर है जो लगभग 422 वर्ष पुराना है।
आमेर में स्थित ये मंदिर जगतशिरोमणि के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में मीरा बाई भगवान कृष्ण के साथ विराजमान है इस मंदिर इन दोनो को पूजा भी जाता है। बताया जाता है इस मंदिर में आराधना करने वालों की हर मनोकामनापूर्ण होती है।
किसने करवाया था इस मंदिर का निर्माण
मंहत दीपक शर्मा के बताए अनुसार जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह की पत्नी रानी कनकावती ने अपने 14 साल के बेटे कुंवर जगत सिंह की याद में सन् 1599 में इस मंदिर का निर्माण शुरू करवाया था। 9 साल चले इस निर्माण कार्य के बाद यह तीन मंजिला भव्य मंदिर वर्ष 1608 में बनकर तैयार हुआ था। इस मंदिर का नाम जगत शिरोमणि मंदिर रखा गया । यहां भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना की गई।
जगत शिरोमणि मंदिर की विशेषताएं
जगत शिरोमणि मंदिर बहुत ही सुंदर और भव्य कलात्मक बना हुआ है। जितना सुंदर मंदिर है उतना ही आस्था का केंद्र है। इस मंदिर में कृष्ण ,मीरा बाई के साथ चतुर्भुज भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर में एक प्राचीन पालकी है। दुल्हन स्वरूप मीरा बाई की प्रतिमा को इस पालकी में बैठाकर मंदिर में विवाह के वक्त लाया गया था।
इस पालकी को देखने के लिए देश -विदेश में भक्त जयपुर के खिचें चले आते है। यह मंदिर 17 वीं शताब्दी के आरंभ के महामेरू भवन की एक सटीक मिसाल है। मंदिर का गर्भग्रह जालीदार खंभ वाले मंडप से बना हुआ है। भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के सामने एक मंडप प्रासाद में उनके वाहन गरूड़ भगवान विराजित है। वहीं, सुंदर संगमरमर के पत्थरों से बने सुंदर तोरण द्वार है। यहां दोनों तरफ हाथियों की प्रतिमा है। यहां दीवारों व छतों पर सुंदर भित्ति चित्र बने हैं, जो कि मंदिर की भव्यता को दर्शाते हैं। यह मंदिर वैष्णव संप्रदाय की मान्यता रखता है।
मंदिर से जुडी कुछ किवदंतियां भी है
यह मंदिर लाखों भक्तो की आस्था का केंद्र है | माना जाता है कि वर्तमान में भगवान कृष्ण की जो प्रतिमा स्थापित है, वही प्रतिमा है,जिसका चित्तौड़गढ़ में विवाह के बाद मीरा पूजती थी | बताया यह भी जाता है कि इस प्रतिमा को मेवाड़ पर आक्रमण करने वालों ने खंडित करने का प्रयास भी किया | इसके पश्चात कृष्ण की यह प्रतिमा जगत शिरोमणि मंदिर लाई गई | मीरा बाई की भी एक मूर्ति का निर्माण कर दोनों का विवाह सम्पन्न कराया गया | मीरा बाई की प्रतिमा का मंदिर में प्रवेश दुल्हन जैसा सजाकर ही करवाया गया था |
लेकिन सफलता हाथ नहीं लग पाई
राजस्थान में इस मंदिर को लेकर कई किवदंतियां हैं। इसके मुताबिक यहां भगवान श्रीकृष्ण की जो मूर्ति स्थापित है, यह वही प्रतिमा है, जिसका चित्तौड़गढ़ में विवाह के बाद मीरा बाई अपनी आराधना और भक्ति गान किया करती थी। बताया जाता है कि कई बार बाहरी मेवाड़ में आक्रमणकारियों ने भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को नष्ट करने का प्रयास किया था।