जयपुर। राजस्थान गौ सेवा संघ, दुर्गापुरा पुलिया परिसर में श्रीकृष्ण तुलसी-गौ पूजन एवं 108 कुण्डीय सर्वार्थ सिद्धि महायज्ञ शुक्रवार सुबह महंत दीपक वल्लभ गोस्वामी के सानिध्य में होगा। यज्ञ संचालन गौ भक्त श्री 108 गोपाल शरण महाराज वेद-मंत्रों की उच्चारण से होगा। इस आयोजन की सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। इस अवसर पर गो-सेवा के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान देने वाली राजस्थान की प्रमुख हस्तियों का सम्मान भी किया जाएगा। महायज्ञ में आहुति देने वाले सभी 108 यजमानों को इंडोनेशिया से मंगाए गए साधना-पूरित एवं अभिमंत्रित पंचमुखी रुद्राक्ष भेंट किए जाएंगे। यह रुद्राक्ष उनके जीवन में सफलता, स्वास्थ्य और दिव्यता का संवाहक बनेगा।
महंत दीपक वल्लभ गोस्वामी ने महायज्ञ को लेकर श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 3, श्लोक 10) का उल्लेख करते हुए बताया कि सृष्टि के प्रारंभ में प्रजापति ने यज्ञ सहित मनुष्यों और देवताओं को उत्पन्न कर कहा – इस यज्ञ से तुम अपनी वृद्धि करो, क्योंकि यही तुम्हारी सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला है।यज्ञ केवल अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन-संरचना का मूल है। इसके लाभ व्यापक हैं। इस तरह के यज्ञ से संतान, स्वास्थ्य, धन और सुख की प्राप्ति होती है, पापों का क्षय और पुण्य की वृद्धि होती है। साथ ही ग्रहदोष शांति और बाधाओं के निवारण के लिए भी इसका विशेष महत्व है।
समाज के प्रबुद्ध जनों की सहभागिता
इस महायज्ञ में राजनीति, कला-संस्कृति, साहित्य, शिक्षा, विधि और चिकित्सा जगत से जुड़े प्रबुद्धजन तथा समाज के अनेक भक्त आहुति देंगे। यह आयोजन न केवल व्यक्तिगत समृद्धि, बल्कि समाज और राष्ट्र के कल्याण का संदेश देगा। इसके अलावा आयोजन में शामिल होने वालों का साधु-संतों का आशीर्वाद भी मिलेगा। प्रसिद्ध भजन मंडलियां मनमोहक भजनों की प्रस्तुतियां देंगे । वहीं गौ-भक्त धर्म परायण जनता को गौ-माता की और तुलसी पूजन की प्रेरणा देंगे
देश की 108 गौशालाओं में भी होंगे ऐसे यज्ञ
कार्यक्रम में यह घोषणा भी की जाएगी कि देशभर की 108 गौशालाओं में इसी प्रकार के महायज्ञ आयोजित होंगे। इस आयोजन में वरिष्ठजनों और युवाओं की टीम समाज को जागरूक करेगी, जिससे गौशालाएं स्वावलंबी बनें और हजारों लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हों।
गौ माता और तुलसी पूजन से लिया जाएगा पर्यावरण शुद्धि का संकल्प
यह महायज्ञ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि तुलसी की महिमा, गौ माता की कृपा, वेद-मंत्रों की दिव्यता और पर्यावरण संरक्षण का अद्भुत संगम है।इस पावन अवसर पर जयपुर की धरती शांति, समृद्धि और सद्भाव का संदेश देगी, और भारत की सनातन परंपरा को नई शक्ति प्रदान करेगी।