जयपुर। जवाहर कला केन्द्र में 22 अप्रैल, मंगलवार को 14वें हेमलता प्रभु स्मृति समारोह का आयोजन किया जाएगा। यह कार्यक्रम जयपुर की पहली महिला नाट्य निर्देशक और कनोडिया महिला महाविद्यालय की सह-संस्थापक व महारानी महाविद्यालय में दो दशक तक अंग्रेजी शिक्षिका रहीं हेमलता प्रभु के 105वें जन्मदिवस के अवसर पर किया जा रहा है।
इस मौके पर रंगायन सभागार में शाम 7 बजे इम्प्रॉपर फ्रैक्शन्स की ओर से मंजरी कौल के निर्देशन में नाट्य प्रस्तुति ‘जुगनू दिल औरतें’ (फायरफ्लाइ वुमेन) का मंचन किया जाएगा। यह एक संवादपूर्ण फिजिकल थिएटर प्रदर्शन है जो तीन महिलाओं द्वारा जेल से लिखे गए पत्रों की पृष्ठभूमि में नारीवादी दुनिया की संभावना की खोज करता है। यह रोकेया सिंह सखावात की 115 साल पुरानी कहानी में उल्लेखित ‘औरतों की धरती’ का यूटोपिया है। हेमलता प्रभु के मित्रजनों, परिवार पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़, राजस्थान बोध शिक्षा समिति, रोशानारा ट्रस्ट की ओर से कला अनुरागियों से कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शामिल होने की अपील की गई।
हेमलता प्रभु का परिचय
कला, शिक्षा और समाज के प्रति अपना जीवन समर्पित करने वाली हेमलता प्रभु का जन्म 23 अप्रैल, 1920 को हुआ। उनके प्रेरणा स्रोत अंग्रेजी के महान कवि, नाट्य लेखक और अभिनेता विलियम शेक्सपियर का जन्मदिन भी 23 अप्रैल ही है। प्रेसीडेंसी कॉलेज, मद्रास से इंग्लिश लिटरेचर में स्नातक करने के बाद हेमलता ने महारानी गायत्री देवी (एमजीडी) स्कूल में अध्यापन शुरू किया। 1945 में वे महारानी कॉलेज से जुड़ीं।
वर्ष 1965 में प्रभु और कृष्णा तर्वे ने कनोडिया महिला महाविद्यालय की स्थापना की। कनोडिया के प्रिंसिपल के पद से प्रभु वर्ष 1982 में सेवानिवृत्त हुईं। 40 से 80 के दशक तक उन्होंने महिला नाट्य कर्मियों के लिए काम किया। प्रभु ने राजस्थान के महिला आंदोलन का नेतृत्व किया। वर्ष 1987 में सती विरोधी आंदोलन में भी उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई। वर्ष 1983 से 1997 तक वे राजस्थान पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ ( पीयूसील) महासचिव और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहीं। 1987 में वे बोध शिक्षा समिति जयपुर की सह संस्थापक बनीं। वर्ष 2006 में उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा।