15 दिवसीय ध्रुवपद प्रशिक्षण कार्यशाला का आरंभ

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जयपुर। इंटरनेशलन ध्रुवपद धाम ट्रस्ट के तत्वावधान में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) की सहभागिता और राजस्थान चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज़ के सहयोग से रविवार को 15 दिवसीय ध्रुवपद प्रशिक्षण कार्यशाला का आरंभ चैम्बर के भैरों सिंह शेखावत सभागार में हुआ।

कार्यशाला के शुभारंभ में मुख्य अतिथि के रुप में डॉ. के.एल. जैन (अध्यक्ष, राजस्थान चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज़), सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् प्रो. एन.एम. शर्मा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जयपुर प्रांत के सह-संघ चालक हेमन्त सेठिया ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस कार्यशाला का संचालन 17 अगस्त से प्रारंभ होकर 1 सितम्बर तक जारी रहेगा। जो शाम 4 से प्रारंभ होकर 6 बजे तक तक चलेगा।

मधु ने किया वेद-उपवेदों से निकली संस्कृत देववाणी का प्रायोगिक गायन

कार्यशाला की विशेषज्ञ गुरु, विख्यात ध्रुपद साधिका और पद्मश्री पं. लक्ष्मण भट्ट तैलंग की शिष्या, विदुषी प्रो. डॉ. मधु भट्ट तैलंग ने उद्घाटन सत्र में ध्रुवपद के इतिहास और आध्यात्मिक गहराइयों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने सुर, ताल, अलंकार, छंद, गमक और मींड के साथ वेद-उपवेदों से निकली संस्कृत देववाणी का प्रायोगिक गायन प्रस्तुत करते हुए बताया कि ध्रुवपद हर युग में प्रासंगिक रहा है—जहाँ भक्ति है, वहीं भारतीय परंपराओं, योग, धर्म और दर्शन की जड़ें हैं।

डॉ. मधु ने कहा कि आज के पाठ्यक्रमों में राष्ट्रप्रेम और नैतिक मूल्यों की कमी है। इसलिए इस कार्यशाला के माध्यम से युवाओं में देशभक्ति और संस्कार जगाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, माखनलाल चतुर्वेदी, निराला, शिवमंगल सिंह ‘सुमन’, रवींद्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी की रचनाओं को ध्रुवपद के छंद और रागों में ढालकर प्रस्तुत किया। यह अभिनव प्रस्तुति न केवल संगीत का साधन बनी, बल्कि धरती-माता के प्रति भक्ति का स्वरूप भी उकेर गई।

संगीत-संगत और मंच की झंकार

इस आयोजन में पखावज पर प्रतीश रावत, सारंगी पर उस्ताद अमरूद्दीन खां और तानपुरे पर किरण कौर ने संगत दी। मंच संचालन योगगुरु डॉ. नरेंद्र शर्मा ने किया। आमंत्रित अतिथियों ने इसे विद्यार्थियों के लिए अत्यंत लाभकारी बताते हुए परंपरा और नवाचार का अद्भुत संगम कहा।

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