जयपुर। 78 वर्षीया महिला के दोनों घुटनों की हड्डियों में 35 वर्ष पहले जोड़ घिसने के कारण एलाइनमेंट (टेढ़ेपन) की सर्जरी हुई थी। समय बीतने के साथ उनके घुटनों में आर्थराइटिस की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई। पिछले दो वर्षों से महिला व्हीलचेयर पर थीं।जब घुटनों को बदलने की जरूरत पड़ी, तो सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि जोड़ अत्यधिक टेढ़े हो चुके थे, जिनमें सामान्य घुटना प्रत्यारोपण (टीकेआर) संभव नहीं था।
मामला सी के बिरला हॉस्पिटल के सीनियर जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. ललित मोदी के पास पहुंचा। जांच में सामने आया कि महिला में हाई टिबियल ऑस्टियोटॉमी के चलते ओवर करेक्शन हो चुका था, जिससे घुटनों की बनावट असामान्य हो गई थी। इससे घुटने के नीचे वाली हड्डी में अंग्रेजी वर्णमाला जेड के आकार की विकृति हो गई थी।
सामान्य इंप्लांट की बनावट सीधी हड्डी के हिसाब से होती है इसलिए जोड़ों में फिट नहीं हो सकती थी। महिला की हाइट भी सामान्य से काफी कम थी और हड्डी भी उम्र के कारण काफी कमजोर हो चुकी थी एवं डिफेक्ट गहरा था जिससे समस्या और जटिल हो गई।
कस्टमाइज इंप्लांट से सफल हुई सर्जरी –
डॉ. ललित मोदी ने बताया कि ऐसे में विशेष तकनीक से मरीज के घुटनों की बनावट के अनुसार कस्टमाइज इंप्लांट तैयार करवाए गए। ऑपरेशन के दौरान हड्डियों के आकार को ठीक करने के लिए विशेष रॉड और औजारों की मदद से जोड़ का संतुलन सही किया गया, फिर इंप्लांट फिट किया गया। एक घुटने की सर्जरी में लगभग दो घंटे का समय लगा।
दोनों जोड़ों की सर्जरी में रहा एक महीने का अंतराल –
पहले एक घुटने की सर्जरी की गई और एक महीने बाद दूसरा घुटना बदला गया। सर्जरी पूरी तरह सफल रही और अब महिला बिना किसी सहारे के चल-फिर पा रही हैं। डॉ. ललित मोदी ने बताया कि यह एक जटिल केस था, क्योंकि पहले की गई सर्जरी से हड्डियों में असामान्य झुकाव आ गया था, जिसे सुधारना आसान नहीं था। लेकिन आधुनिक तकनीक और अनुभव की मदद से यह सर्जरी सफल हो सकी। सर्जरी के बाद अब मरीज अपना सामान्य जीवन व्यतीत कर पा रही हैं|