तिलकुटा चौथ आज: महिलाओं ने व्रत रखकर परिवार के लिए चौथ माता से मांगी दुआ

0
232
Tilkuta Chauth today: Women kept fast and prayed to Chauth Mata for the family.
Tilkuta Chauth today: Women kept fast and prayed to Chauth Mata for the family.

जयपुर। प्रदेश में तिलकुटा या संकट चतुर्थी व्रत आज पूर्ण श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। आज महिलाओं ने अपनी संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रख कर भगवान गणेश और चौथ माता की पूजा कर उन्हें तिलकूट का भोग लगाएंगी। दिन में महिलाओं ने कथा करने के बाद शाम को माता को पुआ,पकौड़ी हलवा और तिल के लड्डू अर्पित कर माता की ज्योत देखेगी और च्रन्द्रोदय के बाद व्रत का परायण किया जाएगा।

अक्षत सुहाग की कामना,संकटों को हरने के लिए बाधा निवृति के लिए चौथ माता और विंदायक की पूजा की जाती है। पूरे साल की चार चौथ में से एक सकट चौथ व्रत में महिलाएं पूरे दिन व्रत रह कर रात्रि में चंद्रोदय के उपरांत चंद्रमा को अर्घ देकर बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त करेंगी। इससे पहले शाम के समय महिलाएं चौथ माता की कथा सुनेंगी और तिलकुट का भोग अर्पित करेंगी। चंद्रमा को अर्घ के बाद महिलाएं बायना कलपेंगी और तिलकुट का प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलेंगी। उद्यापन करने वाली महिलाएं 17 महिलाओं को चंद्रोदय के बाद भोजन करवाकर व्रत खोलेंगी और आशीर्वाद प्राप्त करेंगी।

पंडित बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि सकट चौथ का व्रत संतान की दीर्घायु के लिए एवं सुखी जीवन के लिए रखा जाता हैं। इस व्रत को निर्जला किया जाता हैं। सकट चौथ की पूजा में सकट चौथ पर चंद्रोदय का समय रात्रि में 9.20 मिनट पर होगा ।

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवता कई विपदाओं में घिरे थे। तब वह मदद मांगने भगवान शिव के पास आए। उस समय शिव के साथ कार्तिकेय तथा गणेश जी भी बैठे थे। देवताओं की बात सुनकर शिव जी ने कार्तिकेय व गणेश जी से पूछा कि तुम में से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता हैं। कार्तिकेय व गणेश जी दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया।

भगवान शिव ने दोनों की परीक्षा लेते हुए कहा कि तुम दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा,वही देवताओं की मदद करने जाएगा। भगवान शिव के मुख से यह वचन सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए, परंतु गणेशजी सोच में पड़ गए कि वह चूहे के ऊपर चढ़कर सारी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इस कार्य में उन्हें बहुत समय लग जाएगा।

इसी दौरान उन्हें एक उपाय सूझा। गणेश अपने स्थान से उठे और अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा करके वापस बैठ गए। परिक्रमा करके लौटने पर कार्तिकेय खुद को विजेता बताने लगे। तब शिवजी ने श्रीगणेश से पृथ्वी की परिक्रमा नहीं करने का कारण पूछा। तब गणेश जी ने कहा- माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं यह सुनकर भगवान शिव ने गणेशजी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी ।

इस प्रकार भगवान शिव ने गणेशजी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो उनका पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा उसके तीनों ताप यानी दैहिक, दैविक तथा भौतिक ताप दूर होंगे। इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी तरह के दुख दूर होंगे और उसे जीवन के भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here