फोर्टिस अस्पताल प्रशासन ने फर्जी एनओसी से बदल दी किडनी, अस्पताल प्रशासन ने कहा हार्ट अटैक से मौत

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Vasectomy Fortnight starts from 21st November
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जयपुर। अंग प्रत्यारोपण और विदेशी लोगों से रुपए देकर अंग खरीद-फरोख्त मामला अभी थमा भी नहीं कि शनिवार को किडनी ट्रांसप्लांट के बाद फोर्टिस अस्पताल में मरीज की मौत के बाद बखेडा खड़ा हो गया। मरीज की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। सूचना पर जवाहर सर्किल थाना पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को समझा-बुझाकर शांत किया। शुक्रवार को गुरुग्राम पुलिस ने भी फोर्टिस और ईएचसीसी अस्पताल में छापा मार कर रिकॉर्ड उठा कर अपनी जांच शुरू कर दी है। हंगामे के दौरान परिजनों ने डॉक्टरों पर मरीज को गलत इंजेक्शन देने का आरोप लगाया। जबकि अस्पताल प्रशासन मरीज की मौत हार्ट अटैक से होना बता रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार 23 मार्च को फोर्टिस अस्पताल में नरेश कुमार जायसवाल (47) का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था। नरेश का किडनी ट्रांसप्लांट डॉक्टर जितेन्द्र गोस्वामी और उनकी टीम ने किया था। इस ट्रांसप्लांट के लिए एनओसी भी फर्जी तरीके से जारी की थी। हालांकि नरेश को किडनी डोनेट उनकी मां के द्वारा की गई थी। ट्रांसप्लांट के बाद उन्हें छुट्टी दे दी थी। चेकअप के लिए परिजन मरीज को लेकर 4 अप्रैल को अस्पताल पहुंचे तो इंफेक्शन आने की बात कहकर डॉक्टरों ने मरीज को दोबारा भर्ती कर लिया। इसके बाद से लगातार उनका इलाज जारी था।

शुक्रवार देर शाम हॉस्पिटल प्रशासन ने मरीज को छुट्टी देने की तैयारी कर ली थी, लेकिन अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई और मरीज को आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। परिजनों का आरोप है कि गलत इंजेक्शन देने के बाद नरेश की तबियत बिगड़ गई। जब हमने डॉक्टरों से अचानक तबियत खराब होने का कारण पूछा तो उन्होंने कुछ जवाब नहीं दिया। इतना ही नहीं मरीज से मिलने भी नहीं दिया। आईसीयू के बाहर सुरक्षा गार्ड और अन्य स्टाफ तैनात कर दिया।

शुक्रवार को काफी बहस के बाद एक परिजन को मिलने के लिए आईसीयू भेजा। अंदर देखा कि हॉस्पिटल का मेडिकल स्टाफ नरेश को इलेक्ट्रिक शॉट के जरिए सीपीआर दे रहा था। इसके बाद देर रात मरीज को मृत घोषित कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम के बाद हॉस्पिटल में मरीज के परिजनों ने हंगामा कर दिया। परिजनों ने डेड बॉडी लेने से मना कर दिया। इसके अलावा इस मामले की एक शिकायत जवाहर सर्किल थाने में भी दी, लेकिन थाने की तरफ से कोई एक्शन नहीं लिया।

इस मामले में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मरीज को उसकी मां ने किडनी दी थी। उन्हें 30 मार्च को छुट्टी दे दी गई थी। पेल्विक डिसफंक्शन और मूत्र संक्रमण के कारण 4 अप्रैल को फिर से भर्ती कराया गया था। 19 अप्रैल को एमआईसीयू में कार्डियक अरेस्ट (हार्ट अटैक) हुआ। हमारी मेडिकल टीम की कोशिश के बावजूद मरीज को बचाया नहीं जा सका।

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