July 21, 2025, 6:11 pm
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फैक्ट्रियों में आग लगाने वाले संविदा पर लगे दो फायर ब्रिगेड कर्मचारी गिरफ्तार

जयपुर। करधनी थाना पुलिस ने ज्यादा कमाई के लिए फैक्ट्रियों में आग लगाने वाले संविदा पर लगे दो फायर ब्रिगेड कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। जिसमें एक फायर ब्रिगेड का चालक है। पूछताछ में इन लोगों ने बताया कि जितनी ज्यादा जगह आग लगती है, उतना ही ज्यादा कमाने का मौका मिलता है।

पुलिस उपायुक्त जयपुर पश्चिम अमित कुमार ने बताया कि करधनी में अलग-अलग थाना क्षेत्रों में हुई आगजनी की घटनाओं की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। करधनी थानाधिकारी हरीश सोलंकी को एक महत्वपूर्ण इनपुट मिला था। इस इनपुट की पुष्टि के लिए थाने के कांस्टेबल सायरमल को लगाया गया।

जांच में पता चला कि पिछले कुछ समय से रीको एरिया के सरना डूंगर (करधनी) में हो रही आग की घटनाओं को बाइक सवार बदमाश अंजाम दे रहे हैं। आरोपी कर्मचारी फैक्ट्रियों में पहले आग लगाते थे, फिर खुद ही जाकर बुझाते थे। दोनों सरकारी गाड़ी से डीजल चुराकर बेचते थे। ज्यादा गाड़ी चलने पर इस तरह डीजल बेचने का मौका भी ज्यादा मिलता था।

थानाधिकारी हरीश सोलंकी ने बताया कि इलाके में लगे हुए एक हजार सीसीटीवी कैमरे चेक किए गए। जहां-जहां आग लगी थी, वहां घटना से पहले बाइक पर दो युवक आते-जाते दिखाई दे रहे थे। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर उन युवकों के हुलिया के आधार पर जांच आगे बढ़ाई गई। बाइक पर आ-जा रहे युवकों का रूट देखा गया। आगजनी वाले घटनास्थल से ये युवक सरना डूंगर के फायर स्टेशन की तरफ जा रहे थे।

मोटरसाइकिल के बारे में जानकारी जुटाई गई। इसके बाद सरना डूंगर फायर स्टेशन पर तैनात फायरमैन विजय शर्मा (25) और फायर स्टेशन के ड्राइवर राहुल यादव (23) को डिटेन किया गया। सख्ती से पूछताछ में इन्होंने अलग-अलग स्थानों पर आग लगाने की बात को स्वीकारा। विजय बागड़ों का मोहल्ला किशनपुरा पुलिस थाना करधनी (जयपुर) और राहुल सिंगोद खुर्द, पुलिस थाना गोविंदगढ़ (जयपुर) का रहने वाला है।

प्राइवेट कंपनी के माध्यम से ज्वाइन किया दमकल कार्यालय

अनुभव के प्रमाण पत्र होने पर प्राइवेट ठेकेदार के स्तर से अस्थायी फायरमैन व ड्राइवर के रूप में दोनों युवकों की नियुक्ति हुई थी। इलाके में आगजनी की घटना होने पर ये दोनों मौके पर जाते थे और आग पर काबू पाते थे। आग बुझाने के दौरान फायर ब्रिगेड की गाड़ी से जितना डीजल खर्च होता है, उससे ज्यादा डीजल खर्च होना बता देते थे। उस डीजल को बाहर बेचकर पैसा कमाते थे।

योजना बनाकर अलग-अलग फैक्ट्रियों के अन्दर आग लगाने की घटना को अंजाम दिया करते थे। दोनों चेहरे पर कपड़ा बांधकर मोटरसाइकिल पर सवार होकर घटना को अंजाम दिया करते थे। कभी प्लास्टिक तो कभी माचिस-सिगरेट की फैक्ट्री में आग लगा देते थे। कंट्रोल रूम से आग लगने की सूचना मिलने पर वह फायर ब्रिगेड की गाड़ी लेकर मौके पर पहुंच जाते थे।

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