जयपुर। राजधानी में राज्य के पूर्व विधायकों के संगठन राजस्थान प्रगतिशील मंच के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि देश का मौजूदा राजनीतिक परिवेश भारत की हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति से भी मेल नहीं खाता है। उन्होंने कहा,“ राजनीति में आप अलग-अलग दलों में हो सकते हैं और इसमें भी बदलाव होता रहता है। सत्ता पक्ष प्रतिपक्ष में जाता रहता है और प्रतिपक्ष सत्ता पक्ष में आता रहता है। पर इसका मतलब यह नहीं है कि दुश्मनी हो जाए। दरार पैदा हो जाए। दुश्मन सीमापार हो सकते हैं। देश में हमारा कोई दुश्मन नहीं हो सकता।”
उप राष्ट्रपति ने कहा कि राजनीति का परिवेश असहनीय हो रहा है। बेलगाम होकर वक्तव्य दिये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल जब राज्य में होता है, तो उस पर आसानी से वार किया जा सकता है। राज्य की सरकार यदि केंद्र की सरकार के अनुरूप नहीं है तो आरोप लगना बहुत आसान हो जाता है। समय के साथ बदलाव आया और उपराष्ट्रपति भी इसमें जुड़ गया और राष्ट्रपति को भी इस दायरे में ले लिया गया है। उन्होंने कहा,“ यह चिंतन, चिंता और दर्शन का विषय है। ऐसा मेरी दृष्टि में होना उचित नहीं है।”
धनखड़ ने कहा कि प्रतिपक्ष का बहुत बड़ा योगदान रहता है और प्रतिपक्ष विरोधी पक्ष नहीं है। यह प्रजातंत्र में आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “अभिव्यक्ति हो, वाद-विवाद हो, संवाद हो। वैदिक तरीके से, जिसको अनंतवाद कहते हैं। अभिव्यक्ति बहुत महत्वपूर्ण है और प्रजातंत्र की जान है।”
उन्हाेंने कहा कि अभिव्यक्ति कुंठित होती है या उस पर कोई प्रभाव डाला जाता है या अभिव्यक्ति इस स्तर पर पहुँच जाती है कि दूसरे के मत का कोई मतलब नहीं है, तो अभिव्यक्ति अपना अस्तित्व खो देती है। अभिव्यक्ति को सार्थक करने के लिए वाद-विवाद को जरूरी करार देते हुए धनखड़ ने कहा कि दूसरे के मत को सुनना अभिव्यक्ति को ताकत देता है।