जयपुर। कांति चंद्र रोड बनीपार्क में श्री शिव महापुराण कथा समिति की ओर से आयोजित नौ दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के छठे दिन मंगलवार की कथा में विविध दिव्य प्रसंगों का श्रवण कराया गया। व्यास पीठ से संतोष सागर महाराज ने दुर्वासा, हनुमान, भैरव, जलंधर वध के प्रसंगों को गूढ़ आध्यात्मिक उदाहरणों और भावपूर्ण भजनों के माध्यम से प्रस्तुत किया।
कथा के दौरान ओम नम: शिवाय और हर हर महादेव के जयघोष से वातावरण शिवमय हो उठा। भजनों की मधुर स्वर लहरियों पर श्रोता मंत्रमुग्ध होकर झूम उठे। संतोष सागर महाराज ने प्रवचन में कहा कि देवता और दानव देह नहीं, विचार का नाम हैं। उन्होंने कहा कि दानव वह है जो छीना-झपटी करता है, और देवता वह है जो मिल-बांटकर खाता है। यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि उसे दानव बनना है या देवता।
उन्होंने एक अन्य प्रसंग में कहा कि सत्संग से मन पवित्र होता है, बुद्धि निर्मल होती है, और आत्मनिरीक्षण की प्रवृत्ति जन्म लेती है। व्यक्ति जब स्वयं को देखने लगता है तो निश्चित रूप से उसमें सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि जीवन में कभी भी किसी की नकल न करें और अपनी क्षमता एवं व्यवस्था के अनुसार ही निर्णय लें।
छठे दिन कथा से पूर्व और अंत में भगवान शिव की महाआरती की गई। श्री शिव महापुराण कथा समिति के महामंत्री अरुण खटोड़ ने बताया कि जयपुर नगर निगम हैरिटेज की महापौर कुसुम यादव, पूर्व चैयरमेन अजय यादव, समिति के अध्यक्ष पंडित सुरेश शास्त्री सहित अन्य गणमान्य लोगों ने महाआरती की।
बुधवार, 2 जुलाई को कथा में तुलसी विवाह, द्वादश ज्योतिर्लिंग प्राकट्य का दिव्य प्रसंग होगा। कथा का समापन 4 जुलाई को होगा। कथा प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से 6 बजे तक आयोजित की जा रही है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु और गणमान्य नागरिक उपस्थित हो रहे हैं।