खानपान में संतुलन की कमी के कारण एब्डॉमिनल कैंसर के केसेज में हो रही वृद्धि:कैंसर विशेषज्ञ डॉ शशिकांत सैनी

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Abdominal cancer cases are increasing due to lack of balance in diet
Abdominal cancer cases are increasing due to lack of balance in diet

जयपुर। प्रोसेस्ड एवं पैक्ड खाना, तला-भुना, ज्यादा र्मिच मसाला खाना आज के समय में अधिकांश लोगों के जीवन के हिस्सा बन चुका है। इन्हीं गलत खानपान के आदतों के चलते राजस्थान सहित देशभर में एब्डॉमिनल (पेट से संबंधित) कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (छब्त्च्) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 2 लाख से अधिक नए मामले पेट से जुड़े कैंसर के सामने आते हैं। इनमें कोलन, रेक्टम, गैस्ट्रिक (पेट), लिवर और ब्लैडर कैंसर प्रमुख हैं।

भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल के एब्डॉमिनल कैंसर विशेषज्ञ डॉ शशिकांत सैनी ने बताया कि राजस्थान में भी एब्डॉमिनल कैंसर के मामलों में 20-25 प्रतिषत की वार्षिक वृद्धि देखी जा रही है, खासकर शहरी क्षेत्रों में जहाँ गलत खानपान, तम्बाकू सेवन और तनावपूर्ण जीवनशैली इसका प्रमुख कारण है। एब्डॉमिनल कैंसर उन कैंसर को कहा जाता है जो पेट के भीतर मौजूद अंगों में होते हैं, जैसे कोलन (बड़ी आंत), रेक्टम (मलाशय), गैस्ट्रिक (पेट), लिवर, पैनक्रियास (अग्न्याशय), ब्लैडर (मूत्राशय) और किडनी कैंसर।

शुरूआती लक्षणों की पहचान है जरूरी

अधिकांश लोग कैंसर के शुरूआती लक्षणों को नजर अंदाज कर देते है जिसकी वजह से रोगी की बढ़ी हुई अवस्था में चिकित्सक के पास पहुंचता है। लगातार पेट दर्द या भारीपन, बार-बार कब्ज या दस्त, मल में खून आना, भूख न लगना या वजन अचानक कम होना, पेट में सूजन या गांठ, बार-बार उल्टी या जी मिचलाना, बार-बार पेशाब आना या पेशाब में खून आना। इन लक्षणों को नजरअंदाज किए बगैर चिकित्सक से परामर्श अवश्य रूप से किया जाना चाहिए।

उपचार में अब मल्टी-डिसीप्लिनरी अप्रोच

सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ शशिकांत सैनी ने बताया कि एब्डॉमिनल कैंसर का इलाज अब पहले से कहीं अधिक उन्नत और प्रभावशाली हो गया है, क्योंकि इसमें आधुनिक तकनीकों और मल्टी-डिसीप्लिनरी अप्रोच का इस्तेमाल होता है। इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर किस अंग में है, उसकी स्टेज क्या है और मरीज की शारीरिक स्थिति कैसी है। एडवांस सर्जरी विकल्प में अब लेप्रोस्कोपिक/मिनिमली इनवेसिव सर्जरी होने लगी है। जिसमें छोटे चीरे से ऑपरेशन हो जाता है। इसकी वजह से सर्जरी के बाद रिकवरी तेजी से होती है।

स्टोमा क्लिनिक की भूमिका है अहम

डॉ शशिकांत सैनी ने बताया कि राज्य में एक मात्र बीएमसीएचआरसी में स्टोमा क्लिनिक की सुविधा उपलब्ध है, जहां कैंसर के बाद स्टोमा बने मरीजों को विशेषज्ञ देखभाल, प्रशिक्षण और परामर्श प्रदान किया जाता है। स्टोमा क्लिनिक उन मरीजों के लिए अत्यंत उपयोगी है जिनकी सर्जरी के बाद मल या मूत्र निकालने के लिए शरीर में नया रास्ता (स्टोमा) बनाया गया हो। इस क्लिनिक में विशेषज्ञ मरीजों को स्टोमा की देखभाल, साफ-सफाई और बैग बदलने की तकनीक सिखाने के साथ ही मानसिक सहयोग भी देते है।

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