बॉलीवुड के सेलिब्रिटी फोटोग्राफर डब्बू रतनानी ने सिटी पैलेस में उड़ाई पतंग

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Bollywood celebrity photographer Dabboo Ratnani flew a kite at City Palace
Bollywood celebrity photographer Dabboo Ratnani flew a kite at City Palace

जयपुर। सिटी पैलेस में सभा निवास की छत पर आज पतंग महोत्सव उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। उत्सव में बॉलीवुड के जाने-माने फैशन और सेलिब्रिटी फोटोग्राफर डब्बू रतनानी ने परिवार सहित सिटी पैलेस से शहर की मशहूर पतंगबाजी का आनंद उठाया। इसके साथ ही देशी विदेशी पर्यटकों और आगंतुकों ने भी पतंग उड़ाई और शहर की पंतगबाजी के इतिहास के बारे में जानकारी ली। उत्सव में पर्यटकों के लिए निशुल्क पतंग और डोर की व्यवस्था की गई थी। वहीं एचएच महाराजा सवाई पद्मनाभ सिंह ने चंद्र महल के मुकुट महल से पतंग उड़ाई।

गौरतलब है कि महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय म्यूजियम ट्रस्ट द्वारा प्रत्येक वर्ष ‘पतंग महोत्सव‘ का आयोजन किया जाता है, जिसमें सिटी पैलेस आने वाले सभी देशी व विदेशी पर्यटकों को पतंगबाजी का आनन्द उठाने का अवसर मिलता है। इसका उदेश्य गुलाबी शहर की पतंगबाजी की प्राचीन परम्परा और संस्कृति को बनाये रखने और शहर में आने वाले पर्यटकों को भारतीय संस्कृति से रूबरू कराना है।

उत्सव के दौरान राजस्थानी लोक गायक द्वारा पारंपरिक राजस्थानी गीतों की प्रस्तुति दी गई। पर्यटकों और आगंतुकों ने पतंग उड़ाने के साथ-साथ पारंपरिक व्यंजनों जैसे दाल की पकौड़ी और तिल के लड्डुओं का भी लुत्फ उठाया। इस अवसर पर एमएसएमएस II संग्रहालय की कार्यकारी ट्रस्टी रमा दत्त और सिटी पैलेस, कला एवं संस्कृति विभाग, ओएसडी,रामू रामदेव उपस्थित रहे।

सिटी पैलेस के सर्वतोभद्र चौक में एचएच. महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय के समय (1835-1880) की विभिन्न प्रकार की चरखियों के साथ तितली के आकार की एक बड़ी पतंग ‘तुक्कल’ भी प्रदर्शित की गई।

सिटी पैलेस, कला एवं संस्कृति विभाग, ओएसडी, रामू रामदेव ने बताया कि ‘तुक्कल’ पतंग एक विशेष प्रकार की फाइटर-काइट है, जो कि एचएच. महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय के समय से बहुत ही लोकप्रिय है। उन्होंने बताया कि उस समय की विशेषता थी कि पूर्व राजा- महाराजा मखमल से बनी पतंगें और सूत से बने धागों से पतंगे उड़ाया करते थे। इसे आकर्षक बनाने के लिए इनमें सोने-चांदी के घुंघरू भी लगाई जाती थी। ये पतंगे जहां भी घिरती थीं, वहां से लाने के लिए घुड़सवारों को भेजा जाता था। जो भी घुड़सवार ये पतंग ढूंढ कर लाता था, उन्हें पुरस्कृत किया जाता था।

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