जयपुर। श्रावण कृष्ण पक्ष की एकादशी सोमवार को कामिका एकादशी के रूप में मनाई गई। सावन के दूसरे सोमवार को एकादशी होने से छोटीकाशी के वैष्णव और शैव मंदिरों में धार्मिक आयोजनों की धूम रही। मंदिरों, आश्रमों और धार्मिक स्थलों पर व्रत, पूजा, कथा और भजन-कीर्तन के साथ भक्तों ने दिनभर धर्म-आस्था में लीन रहकर यह पर्व मनाया। आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में सुबह मंगला झांकी से ही श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ने लगे।
एकादशी को मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक कर लाल रंग की विशेष पोशाक धारण कराकर ऋतु पुष्पों से श्रृंगार किया गया। सभी झांकियों में श्रद्धालुओं की भारी संख्या रही। सुबह मंदिर में गीता पाठ भी हुए। गोपीनाथ जी, राधा दामोदर जी, मदन गोपाल जी, श्री सरस निकुंज, लाड़लीजी सहित अन्य वैष्णव मंदिरों में भी एकादशी उत्सव भक्तिभाव से मनाया गया।
कामिका एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति, पितरों की कृपा और मोक्ष की प्राप्त होने की धार्मिक मान्यता के चलते श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से पूजा-अर्चना कर व्रत रखा। शाम के समय कई मंदिरों में भजन संध्या आयोजित की गई। श्याम मंदिरों में महिला मंडलों ने सामूहिक संकल्प व्रत कथा का पाठ किया।
कई स्थानों पर गौशालाओं में सेवा कर वृक्षारोपण भी किया गया। आयोजकों ने पर्यावरण चेतना के तहत श्रद्धालुओं को तुलसी, कदंब और आंवला जैसे पौधे वितरित किए। साथ ही, स्नान-दान, पितृ तर्पण और फलाहार से दिनभर धार्मिक अनुशासन का पालन करते हुए श्रद्धालुओं ने रात्रि में जागरण और विष्णु नाम-स्मरण करते हुए कामिका एकादशी व्रत का समापन किया।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह एकादशी व्रत करने वाला व्यक्ति हजारों वर्ष तक तीर्थों में स्नान और यज्ञ-दान के बराबर पुण्य प्राप्त करता है। श्रद्धालु मंगलवार सुबह पारण के साथ व्रत संपन्न करेंगे।