जयपुर। हरियाली अमावस्या इस बार 24 जुलाई को मनाई जाएगी। जो कि धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पुण्य फलदायी और पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
आचार्य रिशांक शर्मा ने बताया कि इस दिन पितृ पूजन, तर्पण और शिव आराधना के साथ ही पौधरोपण का भी विशेष महत्व है। यह तिथि प्रकृति के पूजन का पर्व है और वर्तमान समय में पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए। अमावस्या तिथि 24 जुलाई को देर रात 2 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर 25 जुलाई की रात 12 बजे तक रहेगी।
लेकिन धर्म में उदया तिथि को मान्यता प्राप्त होने के कारण 24 जुलाई को ही हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, शिव वास योग और अमृत सिद्धि योग जैसे अनेक शुभ संयोग बन रहे हैं। पुनर्वसु नक्षत्र के बाद पुष्य नक्षत्र का भी योग रहेगा, जो इस दिन को और भी अधिक फलदायी बनाता है। मान्यता है कि इन योगों में भगवान शिव की आराधना, पितरों के लिए तर्पण एवं वृक्षारोपण करने से व्यक्ति को विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है और घर में सुख, समृद्धि एवं शांति का वास होता है।
नक्षत्र और राशि के अनुसार लगाएं पेड़ पौधे मिलेगा पुण्य
श्रावण कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानी हरियाली अमावस्या 24 जुलाई को हैं। इस दिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति अपनी राशि,ग्रह व नक्षत्र को जानकर अपने घर के आसपास पेड़ -पौधे लगाए तो उसका पुण्य लाभ उसे जीवन भर मिलेगा। आचार्य रिशांक शर्मा ने बताया कि नागचंपा,अशोक,जूही,अर्जुन और नारियल के पौधे सभी राशियों के लिए शुभ माने गए हैं ।
ग्रहों के अनुसार
सूर्य—मदार का पेड़, चंद्र, पलाश का पेड़, मंगल—नीम,ढाक,खैर का पेड़, बुध—अपामार्ग और केले का पौधा, गुरु —पीपल या केले का पेड़, शुक्र- गूलर का पेड़,कपास का पौधा, शनि- शमी का पेड़,खजूर ,राहु- दूर्वा घास,नारियल और चंदन का पेड़, केतु- इमली का पेड़ और कुशा।
राशि के अनुसार
मेष राशि- आंवला,गूलर, वृषभ राशि जामुन,खेर, मिथुन राशि- शीशम और अपामार्ग, कर्क राशि – बांस,पीपल, नागकेसर, सिंह राशि- पलाश,बरगद, कन्या राशि बेल और जूही, तुला राशि- बेल,अर्जुन,नागकेसर, वृश्चिक राशि- सेमल,साल, धनु राशि- कटहल,रोतांग,पाम, मकर राशि- शमी, कुंभ राशि- कदंब,आम,शमी, मीन राशि नीम,आम,महुआ,
नक्षत्र अनुसार ये पेड़-पौधे लगाएं
अश्विनी – कोचिला,भरणी- आंवला, कृतिका – गुलहड़, रोहिणी -जामुन,मृगशिरा- खैर,आर्दा – शीशम,पुनर्वसु – बांस, पुष्य- पीपल, अश्लेषा – नागकेसर,मघा – बट,पूर्वा- पलाश,उत्तरा – पाकड़,हस्त- रीठा, चित्रा- बेल,स्वाती- अर्जुन,विशाखा- कटैया, अनुराधा- भालसरी, ज्येष्ठा- चीर, मूल – शाल, पूर्वाषाढ़-अशोक, उत्तराषाढ़ -कटहल, श्रवण- अकौन, धनिष्ठा- शमी, शतभिषा-कदम्ब, पूर्वाभाद्रपद- आम, रेवती -महुआ पेड़।
हरियाली तीज से डलेंगे हिंडोले
उधर श्रावण मास के प्रमुख पर्वों में से एक हरियाली तीज 27 जुलाई को मनाई जाएगी। इसी दिन से ठाकुर जी का 12 दिवसीय हिंडोला उत्सव भी मंदिरों में आरंभ होगा जो श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन तक चलेगा। इस दौरान मंदिरों में ठाकुर जी को विशेष रूप से सजाए गए हिंडोलों में झूला झुलाया जाएगा। ये हिंडोले फल, फूल, मेहंदी, कांच, मेवे, चांदी, सोने और मोतियों से सजाए जाएंगे। परंपरा के अनुसार हिंडोले को पहले विधिपूर्वक मंत्रों, गीतों और कीर्तन से शुद्ध किया जाएगा।
इसके बाद ठाकुर जी को उसमें विराजमान किया जाएगा। इस दौरान हवेली संगीत और कीर्तन के साथ ठाकुर जी के दर्शन के विशेष कार्यक्रम आयोजित होंगे। केवल मंदिर ही नहीं, बल्कि छोटीकाशी के घर-घर में भी महिलाएं अपने आराध्य लड्डू गोपाल जी को झूले में विराजमान कर हिंडोला मनोरथ करेंगी और लोकगीतों के माध्यम से श्रावण मास का उत्सव मनाएंगी।