जयपुर। हेपेटाइटिस लिवर में सूजन की समस्या को कहते है। इस बीमारी से हर साल लाखों लोग पीड़ित होते हैं और हजारों लोग इसके कारण अपनी जान गंवा देते हैं। डॉ. शंकरलाल जाट गेस्ट्रोएन्ट्रोलॉजिस्ट मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर ने बताया कि हेपेटाइटिस एक प्रकार का इंफेक्शन है जिसकी वजह से एक्यूट लीवर फेलियर या लीवर सिरोसिस हो सकता है। हेपेटाइटिस प्रमुख रूप से चार तरह के होते हैं ए, बी, सी और ई । हालांकि सभी तरह के हेपेटाइटिस जानलेवा नहीं होते। वहीं विश्व में अधिकतर लीवर कैंसर हेपेटाइटिस बी के कारण ही होता है।
डॉ. शंकरलाल जाट गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर ने बताया कि हेपेटाइटिस ए व ई के संक्रमण दूषित भोजन-पानी, साफ-सफाई का ध्यान न रखने के कारण फैलता है। हेपेटाइटिस ऐ सिमित बीमारी है जबकि पीलिया ईलाज के 1-2 माह मे सही हो जाता है। जबकि हेपेटाइटिस बी व सी से पीड़ित होने का खतरा असुरक्षित यौन संबंध,संक्रमित के संपर्क में आने, संक्रमित इंजेक्शन खून चढ़ाने सीमन आंसू और सलाइवा आदि से हो सकता है।
हेपेटज्ञईटिस बी व सी लम्बे समय तक लीवर में बने रहते है व उसमे सिरोयसिस करते है। लिवर सिरोयसिस से पेट में पानी, उल्टी, रक्त, बेहोषी व यकृत कैंसर हो सकता है। इस बीमारी से बचने के लिए हेपेटाइटिस का टीकाकरण जरूरी है। जो तीन चरणों में होता है। जिनमें पहले व दूसरे टीके में एक माह का व दूसरे व तीसरे में 6 माह का अंतर होता है। कोई भी व्यक्ति पहला टीका लगवाने के बाद दूसरा टीका लगवाना भूल जाता है तो उसको दूसरे और तीसरे टीके में एक माह का अंतर रखना चाहिए।
डॉ. शंकरलाल जाट गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर ने बताया कि हम छोटी-छोटी आदतों का ध्यान रखकर इस बीमारी से आसानी से बच सकते हैं, जैसे पौष्टिक आहार ले,अपने आसपास साफ-सफाई रखें,हाथों को अच्छी तरह से साफ करे,नियमित व्यायाम या योगा करें व किसी अन्य व्यक्तियों से टूथब्रश, रेजर,टावल जैसी चीजों को शेयर न करे। वहीं अगर कोई भी व्यक्ति इस बीमारी से संक्रमित हो जाए तो घबराएं नहीं और इसके बारे में चिकित्सों की सलाह ले एवं समय पर उपचार ले।क्योंकि सही समय पर उपचार ही आपके बचाव का रास्ता है।