जयपुर। श्रावण मास के पहले सोमवार कसे शिव भक्तों के लिए आस्था, भक्ति और समर्पण से भरा रहा। राजधानी जयपुर सभी शिवालयों में कई जगह रिमझिम के बीच सुबह से शिव भक्तों की भीड़ उमड़ी। शिव मंदिरों में भोलेनाथ पर जलाभिषेक के लिए भक्तों की लंबी कतारें देखी गईं। जयपुर में झारखंड महादेव मंदिर, ताड़केश्वर महादेव, काला महादेव, जंगलेश्वर महादेव, चमत्कारेश्वर महादेव ,रोजगारेश्वर महादेव, प्रतापेश्वर, कूकस स्थित सदाशिव ज्योर्ति लिंगेश्वर जैसे प्रसिद्ध शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी।
शिव भक्त बेलपत्र, फल, दूध और अन्य पूजन सामग्री अर्पित कर भगवान शिव से मंगलकामनाएं मांगते नजर आए। हर-हर महादेव के उद्घोष और भक्तों की श्रद्धा से जयपुर में सावन का पहला सोमवार आस्था के रंग में रंगा नजर आया।जहां हजारों श्रद्धालुओं ने छोटे-बड़े शिवालयों में जलाभिषेक किया। मंदिरों के बाहर बम-बम भोले के जयकारे गूंजते रहे। जलाभिषेक में प्रयुक्त जल व्यर्थ न जाए,इसके लिए कई मंदिरों में जल संग्रहण की व्यवस्था की।
शिवालयों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा
महिला, पुरुष, बच्चे, जवान,बुजुर्ग सभी भगवान भोलेनाथ की भक्ति में डूबे हुए नजर आए। हरिद्वार, सोरों एवं कर्णवास से कावड़िये गंगाजल लेकर पहुंचे। शिवालय भगवान भोले शंकर के जयघोष से गुंजायमान हो गया। श्रद्धालुओं द्वारा भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए भंडारे भी लगाये। जगह-जगह स्टॉल लगाकर भोग प्रसादी वितरित की गई।
प्रमुख मंदिरों में देर रात से ही भक्तों की लाइन लगनी हो गई थी शुरू
सावन के पहले सोमवार पर शिवालयों में जलाभिषेक के लिए सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखी गई। वहीं शहर के प्रमुख मंदिरों में देर रात से ही भक्तों की लाइन लगनी शुरू हो गई थी। प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए है। जबकि मंदिरों पर भी प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
राजधानी जयपुर में शिवालय हर हर बम बम भोले के जयघोष गुंजायमान हो गए। मंदिरों में सुबह 4 बजे मंगला आरती होने के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। भगवान महादेव के गर्भग्रह में शिवलिंग पर गंगाजल द्वारा सहस्त्रधारा छोड़ी गई। श्रद्धालुओं द्वारा शिवलिंग पर बेलपत्र ,धतूरा, घी शहद और शर्करा द्वारा अभिषेक किया गया।
घनिष्ठा नक्षत्र और आयुष्मान योग में शिव आराधना
पंडित बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि घनिष्ठा नक्षत्र और आयुष्मान योग में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। विगत लंबे समय बाद सावन महीने की शुरुआत सोमवार से हुई है। सोमवार को ही सावन के महीने का समापन होगा। इस बार सावन के महीने में पांच सोमवार श्रद्धालुओं को पूजा अर्चना करने के लिए मिलेंगे।
झारखंड महादेव मंदिर में भक्तों की लंबी कतारें
झारखंड महादेव मंदिर में सोमवार सुबह से श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखने को मिली। कई किमी दूर से श्रद्धालु लाइन में लगे हुए भोलेनाथ के दर्शन और जलाभिषेक की प्रतीक्षा करते नजर आए. भक्तों ने बेलपत्र, फूल, दूध और जल से अभिषेक कर प्रदेश और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की. शहर के सभी प्रमुख शिव मंदिरों में शाम 4 बजे तक जलाभिषेक किया जाएगा। इसके बाद भोलेनाथ का अलौकिक श्रृंगार और महाआरती की गई। जिसमें श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा के साथ इसमें शामिल हो रहे हैं।
झारखंड महादेव मंदिर के बब्बू सेठ मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष जयप्रकाश सोमानी ने बताया कि मंदिर भक्तों के दो लाइनों के जरिए प्रवेश और निकास करवाया गया। इसके अलावा दिव्यांगजनों के लिए ई रिक्शा के साथ ही 500 रामझारों की व्यवस्था की है। वहीं 200 स्वयंसेवक व्यवस्था संभाली। दर्शनों की शुरुआत सुबह 4.45 बजे से हुई। साथ ही कांवड़ियों को दूध, फल वितरण किया किया।
ताड़केश्वर महादेव में विशेष अभिषेक और झांकी
जयपुर के प्रमुख शिवालय ताड़केश्वर महादेव मंदिर में विशेष आयोजन हुआ। जहां सोमवार तड़के 3:30 बजे 150 किलो घी से महाभिषेक किया गया। शाम को भगवान शिव की भव्य झांकी 3100 किलो आम से सजाई गई। जिसमें श्रद्धालुओं के लिए विशेष दर्शन व्यवस्था की गई है। वहीं कूकस स्थित सदाशिव ज्योतिर्लिंग ईश्वर महादेव मंदिर में भी विदेशी बैंकॉक के आर्किड के फूलों से श्रृंगार हुआ। कांवड़ियों को नि:शुल्क गंगाजल, बिल्वपत्र की व्यवस्था की गई। सोमवार सुबह चार बजे से दर्शनों की शुरुआत हुई।
कांवड़ यात्रियों की आवाजाही से छोटीकाशी पूरी तरह से हुई शिवमय
जगह-जगह कांवड़ यात्रियों की आवाजाही देखने को मिली। जिससे छोटीकाशी पूरी तरह से शिवमय नजर आई। बम-बम भोले, हर-हर महादेव की गूंज के बीच भगवा वस्त्र में कांवडिएं भोलेनाथ का अभिषेक करने के लिए गलता तीर्थ पहुंची। जिसके बाद सभी भगवा वस्त्र में कांवडिएं भोलेनाथ का अभिषेक करने के लिए गलता तीर्थ से जल भर कर शिव का अभिषेक करने के लिए निकले। जहां शिवालयों में शिव भक्ति के लिए व्रत रखकर भक्त पूजा अर्चना सहित रुद्राभिषेक, सहस्त्रघट सहित अन्य अनुष्ठान किया। वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए व्रत रखा