मिलावटखोरी रोकने के लिए मुखबिर योजना हो रही फेल: शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के नाम पर हो रही औपचारिकता

0
291

जयपुर। प्रदेश में मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने के लिए भाजपा सरकार की ओर से शुद्ध के लिए युद्ध अभियान शुरू किया गया है। इसमें मुखबिर योजना को प्रचारित किया जा रहा है। ताकी लोग मिलावटखोरों के खिलाफ सूचना दे। लेकिन यह योजना फेल हो रही है। विभाग की ओर से सिर्फ रूटीन कार्रवाई की जा रही है। वह भी विभाग की ओर से समय समय पर विशेष अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है। जबकि मिलावटखोर पूरे साल बाजार में मिलावटी सामान खपाते है। ऐसे में जब विभाग स्वयं लीपापोती बरतने में लगा है तो मुखबिर योजना का कोई आधार नहीं रहा जाता है।

इसमें मिलावटी खाद्य पदार्थ बनाने या विक्रय करने वाले के संबंध में सूचना देने वाले व्यक्ति को 51 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। साल 2022 में मुखबिर योजना को दोबारा शुरू किया गया। इसमें मिलावटखोरी की सूचना देने वाले को 51 हजार रुपए का इनाम दिया जाना रखा गया। इससे पहले भी यह योजना शुरू की जा चुकी थी और अब भी इसी योजना के आधार पर काम किया जा रहा है।

दोबारा शुरू की गई योजना में हल्का बदलाव किया गया । योजना में मुखबिर को अब यूनिक कोड दिया जाएगा। जिसके लिए सूचना सही पाए जाने पर मुखबिर को निर्धारित फॉर्म में सूचना देने के लिए कहा जाएगा। उसकी प्राप्ति रसीद एवं यूनिक कोर्ड मुखबिर को दिया जाएगा। मुखबिर की पहचान गोपनीय रखने के उद्देश्य से उसे इसी यूनिक कोर्ड से पहचाना जाएगा। सूचना के आधार पर लिए गए सैंपल के खाद्य लैब में अनसेफ पाए जाने पर मुखबिर को 25 हजार रुपए की राशि दी जाएगी तथा कोर्ट में चालान पेश होने पर शेष 26 हजार रुपए की राशि प्रदान की जाएगी। इसी प्रकार सैम्पल खाद्य लैब में अमानक पाये जाने पर मुखबिर को प्रोत्साहन राशि के रूप में 5 हजार रुपए तथा एडीएम कोर्ट में चालान पेश होने पर 5 हजार रुपए की राशि देय होगी। यह राशि देने के लिए खाद्य सुरक्षा आयुक्त व जिला कलेक्टर को प्राधिकृत किया गया है।

मिलावटखोरों के खिलाफ मुखबिर योजना बार बार असफल होती है। इसका कारण यह है कि स्वयं स्वास्थ्य विभाग मिलावटखोरों के खिलाफ गंभीरता से काम नहीं कर पाता है। जिस मुस्तैदी के साथ विभाग को मिलावटखोरों पर शिकंजा कसना चाहिए। वह सक्रियता विभाग में दिखाई नहीं देती है। वहीं मिलावटखोरों पर कोई सख्त कानूनी कार्रवाई नहीं होने की वजह से मिलावटखोर बेखौफ नजर आते है। ऐसे में लोग विभागीय ढिलाई को देखते हुए मुखबिर योजना में अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाते है। जिसकी वजह से यह योजना कारगर साबित नहीं हो पा रही है।

योजना के तहत कोई भी व्यक्ति अनाधिकृत स्थान पर मिलावटी खाद्य पदार्थ के निर्माण या विक्रय की सूचना टोल फ्री नंबर 181 पर दे सकेगा। इसके साथ ही खाद्य सुरक्षा एवं औषधि नियंत्रण आयुक्त, अतिरिक्त आयुक्त, संयुक्त आयुक्त, जिला कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, उपखण्ड अधिकारी, ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी या खाद्य सुरक्षा अधिकारी को पत्र, ई-मेल, सीडी, डीवीडी, पेन ड्राइव, एसएमएस या व्हाट्स एप के माध्यम से भी सूचना दी जा सकती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here