May 1, 2025, 1:52 am
spot_imgspot_img

जवाहर कला केन्द्र: महाबली, दानवीर और मृत्युंजय होने के बाद भी कर्ण रहा अभिशप्त

जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की ओर से पाक्षिक नाट्य योजना के अंतर्गत शुक्रवार को नाटक अभिशप्त का मंचन किया गया। वरिष्ठ नाट्य निर्देशक कविराज लईक ने नाटक का निर्देशन​ किया। नाटक की कहानी वरिष्ठ सरताज नारायण माथुर ने लिखी है। ‘अभिशप्त’ की कहानी पौराणिक ग्रंथ महाभारत के वीर योद्धा कर्ण पर आधारित है। जिसमें कर्ण को महारथी एवं मृत्युंजय बताया गया है।

नाटक में कही, अनकही कुछ बातों व चरित्रों को अपने मौलिक युग में प्रस्तुत करने की चेष्टा की गई है। कर्ण इसका ध्रुव केन्द्र है। ऐतिहासिक व पौराणिक चरित्रों की उदात्ता एवं भव्यता हमें चमत्कृत एवं उल्लासित करती है किन्तु इनका मानवीय संवेदनशील रूप हमारे अन्तःकरण को झकझोर जाता है। कर्ण की पत्नी वृषाली को इस नाटक में मानवीय संवेदनाओं के साथ उभारा गया है। पुरुष और प्रकृति का शाश्वत सम्बन्ध, शक्ति और शिव के रूप में सृष्टि के सृजन का आधार बना है। कर्म के मार्ग पर नारी, पुरुष की सहचरी के रूप में शक्ति स्वरूपा है। पार्वती शिव की, सीता राम की, राधा कृष्ण की शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित है।

सूर्य पुत्र कर्ण को उनकी माता कुन्ती द्वारा जन्म लेते ही नदी में बहा दिया गया था। महायोद्धा होने के बाद भी कर्ण को सदैव दुत्तकारा जाता था। वह अपने समय के समस्त अन्तर्विरोधों एवं विसंगतियों को भोगते हुए जीवन जीते है, उसकी जिजीविषा व संघर्ष की अदम्य लालसा अमृत बनकर उसे ज़िन्दा रखती है। इस प्रकार अभिशप्त होते हुए भी वह अपनी कर्मठता, त्याग व अद्भुत पराक्रम के कारण ही महत्त्वपूर्ण बन जाता है।

महादानी कर्ण कवच एवं कुण्डल के कारण मृत्युंजय है तथा उसके बिना उस पर मृत्यु का अधिकार हो जाएगा यह जानते हुए भी अपने कवच और कुंण्डल इन्द्र को दान में दे देता है। अपनी समस्त अच्छाईयों के बावजूद उसे श्राप दिए जाते है, और महायोद्धा होते हुए भी उसका निशस्त्र वध कर दिया जाता है। महाभारत कालीन परिवेश का यह नाटक आधुनिक युग के लिए भी प्रासंगिक है जिसमें मानवता का संदेश निहित है।

नाटक में सुदांशु आढ़ा ने कर्ण, हुसैन आर.सी. ने परशुराम, धीरज जीनगर ने कृष्ण, पायल मेनारिया ने वृषाली वहीं ज्योति माली ने कुन्ती का किरदार निभाया। इसी के साथ भूपेन्द्र सिंह चैहान, भवदीप जैन, दिव्यांशु नागदा, प्रखर भटृ, विशाल चित्तौड़ा, प्रगनेश पण्डया, स्नेहा शर्मा, मानद जोशी ने अन्य पात्रों की भूमिका निभाई। अनुकम्पा लईक ने वेशभूषा, प्रबुद्ध पाण्डेय ने मंच व्यवस्था, प्रग्नेश पण्डया ने रूप सज्जा, खुशी परवानी ने संगीत संयोजन, शहजोर अली ने प्रकाश संयोजन संभाला।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

25,000FansLike
15,000FollowersFollow
100,000SubscribersSubscribe

Amazon shopping

- Advertisement -

Latest Articles