जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित नटराज महोत्सव रंगकर्म के विभिन्न रंगों से कला प्रेमियों को रूबरू करवा रहा है। रविवार को महोत्सव का तीसरा दिन रहा। यहां सवाद सत्र में अभिनेता कुमुद मिश्रा, शुभ्रज्योति बरत और गोपाल दत्त ने रंगकर्म के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखे।
अभिनेता आदिल हुसैन ने एक्टर्स प्रोसेस सेशन में एक्टिंग पर गहन चर्चा की। शाम को रंगायन सभागार में सुमित व्यास के निर्देशन में नाटक ‘पुराने चावल’ खेला गया। सोमवार को शाम 7 बजे मानव कौल के निर्देशन में नाटक ‘पार्क’ का मंचन होगा।
संवाद सत्र में अभिनेता कुमुद मिश्रा और गोपाल दत्त बतौर वक्ता शामिल हुए। शुभ्रज्योति बरत ने सत्र का संचालन किया। तीनों वक्ताओं ने रंगमंच, चुनौतियों, बदलाव आदि विषयों पर विचार रखे। कुमुद मिश्रा ने कहा कि थिएटर समाज के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि यह समाज को दिशा देता है और संवाद का सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि हर कला समाज का प्रतिबिंब है।
उन्होंने बताया कि एक अभिनेता एक समय में कई किरदारों को जीता है इससे दुनिया को समझने में आसानी होती है। गोपाल दत्त ने कहा कि थिएटर समाज में बदलाव का टूल है, आगे का रास्ता कलाकार को तय करना है। शुभ्रज्योति बरत ने कहा कि थिएटर अंतरआत्मा की ध्वनि है।
एक्टर्स प्रोसेस सेशन में आदिल हुसैन ने रंगकर्मियों को अभिनय के गुर सिखाए। उन्होंने बताया कि अच्छे अभिनय के लिए कंसंट्रेशन, फोकस, अटेंशन और अवेयरनेस जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि समानुभूति कलाकार को विनम्र बनाती है, ध्यान के साथ वह किरदार की गहराई में उतरता है।
उन्होंने कहा कि आत्मकेंद्रीत कलाकार सक्सेस हो सकता है पर आत्मिक शांति तभी मिलती है जब आप अपने अभिनय में दूसरों की भावनाओं को शामिल करते हैं। उन्होंने बताया कि श्वास पर सही तरह से काम किया जाए तो अभिनय में इमोशन दिखाने में आसानी होती है।
रंगायन सभागार के मंच पर सुमित व्यास के निर्देशन में नाटक ‘पुराने चावल’ ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया। यह नाटक नील साइमन के नाटक ‘द सनशाइन बॉयज’ का नाट्य रूपांतरण है। अभिनेता कुमुद मिश्रा, शुभ्रज्योति बरत और घनश्याम लालस के अभिनय ने प्रस्तुति को खास बनाया। नाटक दो रिटायर्ड कॉमिक एक्टर्स के इर्द-गिर्द घूमता है। मंच पर उनके पुराने दिनों के अनुभव, जिंदगी के सबक हास्यात्मक अंदाज में देखने को मिलते हैं।