जयपुर। सुहाना मौसम, चारों ओर हरियाली और शास्त्रीय विधाओं की प्रस्तुतियां। जवाहर कला केन्द्र में शुक्रवार शाम यह नज़ारा देखने को मिला। यहां ताल वाद्य कचहरी और कथक की मनमोहक प्रस्तुतियां दी गयी। परमेश्वर लाल कथक व समूह के कलाकारों ने ताल वाद्य कचहरी में अपना हुनर दिखाया। वहीं दिनेश परिहार ने कथक संरचना ‘भस्मासुर मोहिनी’ व पारंपरिक शुद्ध कथक पेश कर दर्शकों का मन मोहा। इसी के साथ वर्षा ऋतु के सौंदर्य से रूबरू करवाने वाले तीन दिवसीय मल्हार महोत्सव का समापन हुआ।
सबसे पहले 8 वर्षीय प्रिंस कथक और शौर्य बेनीवाल ने अपनी नन्ही अंगुलियों का जादू तबले पर दिखाया। दोनों की जुगलबंदी के साथ कार्यक्रम की बेहतरीन शुरुआत हुई। इसके बाद ताल वाद्य कचहरी में विभिन्न ताल वाद्यों तबला, नगाड़ा, घटम, ढोलक, पखावज, जेम्बे की संयुक्त प्रस्तुति हुई। कलाकारों ने तीन ताल में विलंबित लय और द्रुत लय में वादन कर अपने हुनर का जलवा दिखाया। तबले पर परमेश्वर लाल कथक, मोहित कथक, नगाड़े पर मनीष कुमार देवली, घटम पर धीरज कुमार चौहान, ढोलक पर राकेश कुमार नागौरी और मुकेश कुमार चौहान ने जेम्बे वादन किया। किशन कथक ने सितार व सांवरमल कथक ने हारमोनियम पर संगत की।
इसके बाद शास्त्रीय नृत्य कथक की दो विशेष प्रस्तुतियाँ रंगायन के मंच पर देखने को मिली। एक ओर नाट्य रूप में “भस्मासुर मोहिनी”, दूसरी कथक की जटिल लयकारी पर आधारित 9 मात्रा का तकनीकी पक्ष। पहले नृत्य प्रस्तुति में कथक के नृत्य पक्ष की सूक्ष्मता,लयकारी, तोड़ा, टुकड़ा, परण और पढ़ंत की सुंदरता झलकी। पौराणिक कथा पर आधारित नृत्य नाटिका भस्मासुर मोहिनी में अभिनय, भाव एवं नृत्य का प्रभावशाली संगम दिखाई दिया।
इसमें शिव, भस्मासुर और मोहिनी अवतार के प्रसंग को जीवंत किया गया। मुकेश गंगानी ने भगवान शिव, पूर्णिमा अरोड़ा ने मां पार्वती, दिनेश परिहार ने भस्मासुर, मोनिका अग्रवाल ने मोहिनी और जीवराज ने भगवान विष्णु की भूमिका निभाई। हितेश गंगानी, लक्ष्य पंवार एवं गौरव ने अपनी सामूहिक प्रस्तुति से कार्यक्रम को और विशेष बनाया। कार्यक्रम को खास बनाने में प्रणय भारद्वाज ने अपने मंच संचालन से विशिष्ट भूमिका निभाई।