“लोक संस्कृति और उसकी पुरा वस्तुओं” विषय पर आधारित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

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Organizing a two-day national seminar on the topic
Organizing a two-day national seminar on the topic "Folk culture and its ancient objects"

जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय के संग्रहालय विज्ञान और संरक्षण केंद्र और इतिहास और भारतीय संस्कृति विभाग ने यूजीसी – एमएमटीडीसी के सहयोग से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। “लोक संस्कृति और उसकी पुरा वस्तुओं“ विषय पर आधारित इस संगोष्ठी में देश-विदेश के कई विद्वानों ने अपने शोध पर चर्चा की। संगोष्ठी की समन्वयक और विभागाध्यक्ष, डॉ. नीकी चतुर्वेदी ने कहा कि इतिहास और लोक संस्कृति के बीच की समस्याओं को लोक संस्कृति की मदद से बेहतर बनाना चाहिए।

उद्घाटन सत्र में बेल्जियम की डॉ. आयला जोंखारी ने लोक संस्कृति की अभिव्यक्ति के द्वारा शोध को क्रियात्मक बनाने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी। जैसलमेर के ओरण संरक्षणकर्ता, सुमेर सिंह भाटी ने थार क्षेत्र में वृक्षों के संरक्षण के अपने महत्वपूर्ण काम को साझा किया। प्रोफेसर विभा उपाध्याय ने प्राचीन भारत में लोक संस्कृति के इतिहास को उजागर करने के तरीकों पर प्रकाश डाला।

नागालैंड, हिमाचल, मजीलपुर, उड़ीसा, दिल्ली, जैसलमेर, बीकानेर आदि स्थानों की लोक संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर पत्र वाचकों ने चर्चा की। संगोष्ठी में ’भानगढ़ का रहस्य’ पर भी एक रोचक चर्चा हुई। प्रो. सूरजभान भारद्वाज, प्रो. आरपी बहुगुणा और प्रो. मयंक कुमार ने भानगढ़ के लोक मिथक और ऐतिहासिक तथ्यों पर चर्चा की।

संगोष्ठी के संयोजक डॉ. तमेघ पंवार और डॉ. जिज्ञासा मीना ने बताया कि तीन समानांतर सत्रों में 35 से अधिक शोध पत्र संगोष्ठी के पहले दिन प्रस्तुत किए गए। आकांक्षा मोदी, राजस्थान विश्वविद्यालय की स्नातकोत्तर छात्रा ने बावड़ियों पर एक प्रदर्शनी लगाई, जिसे प्रतिभागियों ने देखा।

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