जयपुर। नेट थिएटर कार्यक्रमों की संख्या में नाद सोसायटी की ओर से अनिल मारवाड़ी द्वारा लिखित और निर्देशित ढूंढाड़ी भाषा का नाटक चोखा की आस का सफल मंचन किया गया। नेट थिएट के राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि इंसान जब भक्ति करता है तो भगवान से फल जरूर देता है लेकिन अगर परिवार लालची हो जाए तो बर्बाद भी हो जाता है।
कथाकार
गांव के पंडित जी भजन गाने का शौक रखते हैं इस बात से उनकी पत्नी हमेशा दुखी रहती है । भजन गाने के शौक से घर का खर्च नहीं चल पाता और हमेशा पंडित जी और उनकी पत्नी में झगड़े की स्थिति बनी रहती है । पंडिताइन ने भजन गाने की शोक की वजह से पंडित जी को घर से बाहर निकाल दिया, पंडित जी अपनी बेइज्जती समझ कर आत्महत्या करने के लिए निकल जाते हैं।
तभी जंगल में उन्हें एक हंस मिलता है,पंडित जी की भक्ति और उनकी विनम्रता की वजह से उन्हें एक गुफा में भेजता है जहां पर सोना चांदी हीरे जवाहरात होते हैं पर पंडित जी लालची नहीं थे, उसमें से सिर्फ जरुरत के ₹50 निकाल कर लाते हैं और घर चले जाते हैं तब पडताईन यह पता लगता है कि गुफा में अपार धन है,तो वह पंडित जी पर गुस्सा होती है और कहती है कि हे भगवान म्हारा तो कर्म ही फूट गया।
आयोडो धन छोड़ आया और कहती हैं की मुझे गुफा में लेकर चलो, जब वह जंगल में पहुंचते हैं तो वहां पर उन्हें कौवा मिलता है, पंडिताइन कौवे से कहती है कि हमें गुफा में जाकर धन लेना है कौवा कहता हैं कि गुफा में जाओगे तो शेर तुम्हें खा जाएगा लेकिन लालची पंडिताइन अपने पति को गुफा में भेज देती है और वह शेर का शिकार बन जाते हैं, पंडित जी की मृत्यु हो जाती है।
इस नाटक में वरिष्ठ रंगकर्मी मनोज स्वामी, रेनू सनाढ्य, गुलशन कुमार चौधरी, जितेंद्र शर्मा अपने पात्रों को जीवन्त कर अपने अभिनय की छाप छोड़ी । नाटक में यशस्वी कुमावत, लाखन राणावत, करण मैं अपने पात्र को सहजता से निभाया। नाटक में भजन गायक आनंद पुरोहित, पुनीत गुप्ता ने अपनी भजन प्रस्तुति से नाटक को ऊंचाइयां प्रदान की।मजीरे पर आयुष पुरोहित रहे ।