जयपुर। श्रावण मास के शुभ अवसर पर जहां एक ओर शिवालयों में हर-हर महादेव और बोल बम के उद्घोष गूंज रहे हैं, श्रद्धालु गहरी भक्ति से भोलेनाथ का जलाभिषेक और पूजन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ज्यादातर स्थानों पर सामूहिक पार्थिव शिवलिंग अभिषेक आयोजनों के नाम पर आस्था और धार्मिक मर्यादाओं का खुला उल्लंघन हो रहा है।
शास्त्रों में पार्थिव शिवलिंग अभिषेक के लिए नदियों, सरोवरों के तट, मंदिर प्रांगण या पवित्र वृक्षों की छाया को ही उपयुक्त स्थान माना गया है। लेकिन आज ये आयोजन एसी होटल, रिसॉर्ट और सामुदायिक भवनों में धड़ल्ले से हो रहे हैं। इन स्थानों पर सुविधाएं सहज उपलब्ध हो जाती है। हाल ही में मुरलीपुरा स्थित एक समाज भवन में रविवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं से प्रति जोड़े 2500 की दक्षिणा लेकर अभिषेक कराया गया, जिसमें भोजन जैसी सुविधाएं भी जोड़ी गईं। इस आयोजन में हवामहल विधायक बालमुकुंचार्य भी उपस्थित रहे।
लेकिन कार्यक्रम के बाद जो दृश्य सामने आया,उसने आस्था को शर्मसार कर दिया। सोमवार दोपहर तक पूजन सामग्री जहां-तहां बिखरी रही। पार्थिव शिवलिंग प्लास्टिक के कट्टे में कचरे के साथ पड़े मिले। कई पार्थिव शिवलिंग खुले में इधर-उधर फैले हुए थे। न तो विधिवत विसर्जन हुआ, न ही किसी प्रकार की धार्मिक मर्यादा का पालन किया गया। रोली, मोली, चावल, पुष्प सहित पूजन सामग्री पूरे फर्श पर बिखरी हुई थी।
इसके अलावा मिट्टी के पार्थिव शिवलिंग को गलने से बचाने के लिए उन पर चांदी की वर्क चढ़ाई गई। जानकारों के अनुसार चांदी की वर्क गाय की खाल में कूट-कूट कर बनाई जाती है, जो धार्मिक दृष्टि से न केवल आपत्तिजनक है बल्कि शिव भक्ति की मूल भावना के खिलाफ है। पार्थिव शिवलिंग के अभिषेक के दौरान ज्यादातर आयोजक चांदी की वर्क के बजाय प्लास्टिक की पतली पन्नी का उपयोग करते हैं।
दक्षिणा के साथ प्रायोजक भी करते हैं सहयोग
ऐसे आयोजनों में स्वयंसेवी संगठनों और कथित धार्मिक समूहों द्वारा भारी दक्षिणा लेकर धर्म को व्यावसायिक रूप दे दिया गया है। श्रद्धालु भक्ति में रमे रहते हैं, लेकिन पर्दे के पीछे कुछ लोगों द्वारा आस्था को बाजार बना दिया गया है। यजमानों से दक्षिणा के साथ-साथ ये लोग भामाशाहों से भी सहयोग के नाम पर मोटी राशि ले लेते हैं।
पवित्र वातावरण है जरुरी
पार्थिव शिवलिंग अभिषेक सहित किसी भी धार्मिक आयोजन के लिए मंदिर, नदी, पवित्र सरोवर या पवित्र वृक्ष की छाया ही उपयुक्त स्थान बताया गया है। क्योंकि इन स्थानों का अपना एक आभा मंडल होता है। इन स्थानों पर पूजा-अर्चना, जप-अनुष्ठान होते रहते हैं। इससे यहां का वातावरण बहुत पवित्र बन चुका होता है। जिसका लाभ यहां अनुष्ठान करने वाले को अवश्य मिलता है। होटल, पार्क, रिसोर्ट, सामुदायिक केन्द्र पार्थिव शिवलिंगों के अभिषेक के लिए बिल्कुल भी उपयुक्त नहीं है। क्योंकि यहां नकारात्मक ऊर्जा भारी मात्रा में होती है। केवल सुविधाओं की दृष्टि से ऐसे स्थानों का चयन नहीं करना चाहिए।
ऐसे कर सकते हैं शिवलिंग विसर्जन
वैदिक देव स्थापति मंदिर एवं प्रतिमा निर्माण विशेषज्ञ आचार्य हिमानी शास्त्री ने बताया कि पार्थिव शिवलिंगों का विसर्जन नदी में करना चाहिए। पूजन सामग्री को बड़ या पीपल के नीचे गाड़ देना चाहिए। यदि ऐसो नहीं कर सकते तो एक बड़ा बर्तन या परात लें, उसमें शुद्ध जल भरें और गंगाजल मिलाएं। आमे नम: शिवाय का जाप करते हुए पार्थिव शिवलिंग को जल में धीरे-धीरे रखें। शिवलिंग पर चढ़ाई गई सभी सामग्री, जैसे फूल, पत्ते, बेलपत्र, आदि को भी जल में डाल दें। कुछ देर प्रतीक्षा करें, जब तक कि शिवलिंग जल में घुल न जाए। जल को किसी पौधे में डालें, तुलसी के पौधे को छोडक़र।
पूरे माह होगा पार्थिव शिवलिंग पूजन: सावन माह के शुक्ल पक्ष में एक दर्जन से अधिक स्थानों पर पार्थिव शिवलिंगों का पूजन किया जाएगा। इनमें ज्यादातर स्थान रिसोर्ट और होटल है। सीकर रोड पर एक निजी विद्यालय में भी पार्थिव शिवलिंगों का अभिषेक-पूजन किया जाएगा।