गोविंद देवजी मंदिर में छाया बसंत पंचमी का उल्लास, ठाकुरजी को अर्पित हुई पांच तरह की गुलाल

0
151
The joy of Basant Panchami is seen in Govind Devji temple
The joy of Basant Panchami is seen in Govind Devji temple

जयपुर। ठिकाना मंदिर गोविंददेव जी मंदिर में बसंत पंचमी उत्सव के दौरान मंदिर के पाटोत्सव के रूप में धूमधाम से मनाया गया। इस उपलक्ष्य में मंदिर में अनेक धार्मिक आयोजन हुए। मंदिर के सेवाधिकारी मानस गोस्वामी ने बताया कि बसंत पंचमी की सुबह मंदिर कीर्तनिया एवं परिकर जन मंगल गीत एवं बधाई गान से दिवस की शुरुआत हुई। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में बसंत पंचमी को मंगला झांकी सुबह 4 से 4:15 बजे तक ही। सुबह 5 से 5:15 बजे तक ठाकुर जी का वेद मंत्रोच्चार के साथ पंचामृत अभिषेक किया गया।

मावा पेड़े का भोग अर्पण किया गया। इसके बाद महाआरती के दर्शन हुए। अभिषेक झांकी के बाद ठाकुर श्रीजी को विशेष पीत (पीली) पोशाक एवं अलंकार श्रृंगार धारण कराया गया। धूप झांकी 8:30 से 9.45 बजे तक हुए। धूप झांकी खुलने पर पहले अधिवास पूजन हुआ। इसके बाद धूप की आरती हुई। धूप झांकी में ठाकुर श्रीजी को बेसन के लड्डू का भोग अर्पण किया गया। शृंगार झांकी सुबह 10:15 से 10: 45 बजे तक हुई।

शृंगार झांकी के बाद मां भगवती सरस्वती का पूजन जगमोहन मध्य में ठाकुर श्रीजी के सन्मुख हुआ। ठाकुर श्रीजी को पांच प्रकार गुलाल, इत्र का अर्पण किया गया।उसके बाद राजभोग की आरती हुई। राजभोग झांकी का समय सुबह 11: 15 से दोपहर 11: 45 बजे तक रहा।

भक्ति रत्नाकर ग्रंथ में है उल्लेख : ठिकाना मंदिर श्री गोविंद देवजी महाराज में बसंत पंचमी का दिन एक विशेष उत्सव के रूप मनाया जाता है। करीब 500 वर्ष पूर्व इस दिन श्रील रूप गोस्वामी पाद ने ठाकुर श्रीजी का विग्रह गोमाटीला (वृंदावन) में पुन: प्रकट किया था। मूल बंग (बंगला) भाषा में रचित माध्व गौड़ीय संप्रदाय के सर्वमान्य ग्रंथ भक्ति रत्नाकर ग्रंथ के द्वितीय तरंग में स्पष्ट अंकित है कि श्री गोविन्द प्रगटे होइलो रूप द्वारे। अर्थात श्री रूप गोस्वामी पाद ने ठाकुर श्री गोविंद देव जी को प्रगट किया। इस कारण माघ शुक्ला पंचमी के दिन ठाकुर श्री जीऊ का पाटोत्सव (पट्टाभिषेक) अनुष्ठान मनाया जाता आ रहा है।

साप्ताहिक हवन ब्रह्मपुरी में

गोविंद देवजी मंदिर में हर रविवार को सुबह नौ से ग्यारह बजे तक होने वाला नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ मंदिर के बजाय ब्रह्मपुरी स्थित गायत्री शक्तिपीठ में साढ़े आठ से दोपहर बारह बजे तक हुआ। इस मौके पर विद्यारंभ, यज्ञोपवीत, दीक्षा सहित अन्य संस्कार भी कराए गए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here