विद्यार्थियों का कराया विद्यारंभ संस्कार, ज्ञान प्रसाद के रूप में भेंट की महापुरुषों की प्रेरक जीवनी

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Vidyarambh Sanskaar conducted for the students
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जयपुर। शिक्षा के साथ विद्या का समन्वय स्थापित करने और भारतीय संस्कृति के मूल विद्यारंभ संस्कार को पुनर्स्थापित करने की दिशा में ठिकाना मंदिर श्री गोविंद देवजी की ओर से रविवार रामगंज चौपड़ स्थित मुरली मनोहर जी मंदिर में पंचकुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं विद्यारंभ संस्कार महोत्सव का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का संचालन गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी के सह व्यवस्थापक मणि शंकर पाटीदार के निर्देशन में गायत्री कचोलिया, गायत्री तोमर एवं डॉ. अजय भारद्वाज ने वैदिक मंत्रों, प्रेरक गीतों और उद्बोधनों के साथ यज्ञ विधिपूर्वक सम्पन्न कराया। गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र के साथ देवशयनी एकादशी के अवसर पर विष्णु गायत्री महामंत्र से विशेष आहुतियां प्रदान की गईं।

कार्यक्रम की विशेष कड़ी के रूप में पहली बार विद्यालय जाने वाले बालकों के लिए निःशुल्क विद्यारंभ संस्कार कराया गया। बच्चों ने मां सरस्वती का पूजन कर ओम लेखन किया। उपस्थित श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना की। बच्चों को गायत्री मंत्र लेखन पुस्तिका निशुल्क दी गई।

भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी दीपक नंदी ने बच्चों को प्रेरणा दी पुस्तक भेंट कर ज्ञानप्रसाद स्वरूप शुभकामनाएं दीं। ज्यादातर पुस्तक के देश दुनिया के उन महापुरूषों पर आधारित थी जिन्होंने अपने व्यक्तित्व से कुछ कर दिखाया और दूसरों के लिए प्रेरक बने। सभी बच्चों को पाठ्य पुस्तकों के साथ-साथ इन पुस्तकों का अध्ययन करने का भी संकल्प कराया।यज्ञ से पूर्व ठाकुर श्री गोविंद देवजी, मुरली मनोहर, वेदमाता गायत्री एवं गुरु सत्ता का पूजन विधिपूर्वक किया गया। पंचकुंडी गायत्री महायज्ञ की पूर्णाहुति के रूप में सभी लोगों ने अधिक से अधिक पौधे लगाने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम के अंत में पंडित रमेश शर्मा ने यज्ञ समापन पर सभी श्रद्धालुओं, अतिथियों एवं सहयोगियों का आभार प्रकट किया तथा घोषणा की कि प्रत्येक माह मंदिर में नियमित रूप से गायत्री महायज्ञ आयोजित किया जाएगा।

इस अवसर पर गीता गायत्री मंदिर के पंडित राजकुमार चतुर्वेदी, महंत संजय गोस्वामी, मेहंदीपुर बालाजी मंदिर समिति के शिक्षा सचिव सुदीप तिवारी सहित अनेक गणमान्य नागरिक, अभिभावक एवं श्रद्धालुजन उपस्थित रहे। गायत्री चेतना केंद्र, बनीपार्क के कैलाश अग्रवाल और रमेश अग्रवाल ने श्रद्धालुओं को अग्नि पर नैवेद्य अर्पण की परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए तांबे के बलिवैश्व पात्र आधे मूल्य पर उपलब्ध कराए।

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