गायत्री परिवार का वृक्ष गंगा अभियान शुरू

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जयपुर। अखिल विश्व गायत्री परिवार की ओर से वृक्ष गंगा अभियान के अंतर्गत रविवार को त्रिवेणी धाम के पास स्थित पीपलोद गांव की चामुंडा माता की पहाड़ी पर सघन वृक्षारोपण किया जाएगा। शनिवार को गड्ढों की खुदाई कर अन्य तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया।

जयपुर से गायत्री परिवार के बड़ी संख्या में कार्यकर्ता सुबह नौ बजे पीपलोद गांव पहुंच जाएंगे। वहां हवन के बाद तरु पूजन होगा। इसके बाद गायत्री मंत्र के साथ पीपल के एक हजार पौधे लगाए जाएंगे। दस फीट से अधिक लंबे ये पौधे बाहर से मंगवाए हैं। वृक्षारोपण के बाद सभी परिजन वन विहार उत्सव मनाएंगे। अपने-अपने घर से लाए भोजन का एक-दूसरे को वितरण करते हुए भोजन करेंगे।

धार्मिक मान्यता है कि पीपलोद गांव का संबंध पिप्लाद ऋषि से रहा है। कभी यहां पीपल के वृक्षों की बहुतायता थीं। यहां नदी भी प्रवाहित होती थी। वह नदी पुनर्जीवित हो इसके लिए पहाड़ी पर पीपल के पेड़ लगाए जा रहे हैं। पहाड़ के हरे भरे होने से बादल जल्दी आकर्षित होकर वर्षा करते हैं

क्या है वृक्ष गंगा अभियान:

गायत्री परिवार राजस्थान के समन्वयक ओमप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश की लुप्त हो चुकी नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए गायत्री परिवार वृक्ष गंगा अभियान चला रहा है। लोगों के पेड़ लगाने के लिए तरु पुत्र-तरु मित्र योजना भी चलाई गई है। इसमें पेड़ के प्रति पुत्र या मित्र की तरह भावना देने पर जोर दिया जाता है। शास्त्रों में लिखा है-

दष कूप समो वापी दषवापी समो हृद:।
दष हृद: सम: पुत्र: दषपुत्र समो द्रुम:।।

भावार्थ- दस कुओं के समान एक वापी होती है। दस वापियों के समान एक सरोवर होता है। दस सरोवरों के समान एक पुत्र का महत्व है। इसी प्रकार दस पुत्रों के समान एक वृक्ष लगाना पुण्यदायी होता है।

विषपायी शिव है वृक्ष:

वृक्ष गंगा अभियान का संचालन कर रहे भैंरुलाल जाट ने बताया कि वृक्ष विषपायी शिव है जो सदा कल्याण करते हैं संसार के विष को पीकर कल्याणकारी प्राणदायी प्राण वायु प्रदान करते हैं। अपने जीवनकाल में करोड़ों की सम्पदा प्रकृति में लुटाते हैं और अपने देवता होने का प्रमाण देते हैं। एक मनुष्य को सम्पूर्ण जीवनकाल में जितनी ऑक्सीजन एवं काष्ठ की आवष्यकता होती है उसे तीन पेड़ मिलकर पूरा करते हैं।

अत: हम सभी को अपनी सासों के कर्ज से मुक्ति के लिए न्यूनतम तीन वृक्ष लगाना और पालना चाहिए। वृक्ष ही हमारे जीवन साथी हैं बचपन के पालने से लेकर अन्त्येष्टि की लकड़ी पेड़ की ही होती है। वृक्ष ही हैं जो बादलों को आकर्षित करते नदियों को सदानीरा बनाते और प्राणी जगत के जीवन को आधार देते हैं।

मिल चुके हैं सकारात्मक परिणाम:

गायत्री परिवार सामोद की मलयगिरी पहाड़ी पर और सीकर रोड के सेवापुरा स्थित एक पहाड़ी पर भी वृक्ष लगा चुका है। दोनों पहाड़ी से बरसात के दिनों में झरना बहने लगा। सेवापुरा में गत वर्ष झरना शुरू हुआ। ग्रामीणों के अनुसार 40 साल बाद झरना बहा है। इसका कारण पहाड़ी पर पीपल, बड़, जामुन के पेड़ लगना है।

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