स्वास्थ्य विभाग में 261 करोड़ के टेंडर में भ्रष्टाचार, सीएम-एसीबी के पास पहुंची शिकायत

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जयपुर। प्रदेश के हर जिले में मोबाइल मेडिकल वैन सर्विस को लेकर स्वास्थ्य विभाग की 261 करोड़ के टेंडर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की बू आ रही है। 261 करोड़ के टेंडर में भ्रष्टाचार को लेकर सीएम भजनलाल शर्मा और एसीबी में शिकायत की गई है। एक व्हिसल ब्लोअर ने सीएम और एसीबी डीजी को लेटर लिखकर मोबाइल मेडिकल वैन सर्विस के टेंडर में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए और कार्रवाई की मांग की।

सीएम और एसीबी में दी शिकायत में बताया गया कि प्रदेश के हर जिले में मोबाइल मेडिकल वैन सर्विस उपलब्ध करवाने की टेंडर प्रक्रिया में एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर की शर्तों में मनमाने बदलाव किए गए हैं। नेशनल हेल्थ मिशन के एमडी ने 9 मार्च को टेंडर निकाला। 23 जुलाई को एमडी एनएचएम ने एक कोरिजेंनडम निकालकर टेंडर की शर्तों में दर्जन भर बदलाव कर दिए। टेंडर की शर्तों में बदलाव प्री बिड बैठक से पांच दिन पहले किए गए।

एक खास कंपनी को टेंडर देने के लिए टेलरमेड निविदा मंगवा ली गई, जबकि सब कुछ पहले तय हो चुका था। टेंडर की कई शर्तों में ऐसे बदलाव किए गए हैं, जिनसे जनता और सरकार दोनों को नुकसान है। व्हिसल ब्लोअर ने टेंडर की शर्तों में बदलाव की टाइमिंग पर सवाल उठा कर मामले में जांच की मांग की है।पहले मोबाइल मेडिकल वैन में मेडिकल इक्विपमेंट रखने की शर्त थी, जिसे डिलीट कर दिया गया। मोबाइल मेडिकल सर्विस देने वाली कंपनी को हर साल टेंडर प्राइस का 3 प्रतिशत अतिरिक्त पैसा देने का प्रावधान जोड़ा गया, पहले यह प्रावधान नहीं था।

टेंडर के लिए योग्यता पहले 100 मोबाइल मेडिकल वैन सर्विस संचालित करने के अनुभव की शर्त थी। इस शर्त को बाद में बदला गया। 100 से घटाकर 75 मोबाइल मेडिकल वैन के अनुभव की शर्त जोड़ दी। साथ ही दो राज्यों में काम करने का अनुभव भी अनिवार्य कर दिया। टेंडर में शामिल होने वाली कंपनी के लिए पहले शर्त थी कि उसका तीन साल का टर्नओवर कम से कम 85 करोड़ होना चाहिए था। इस शर्त में बदलाव करके इस अवधि को चार साल कर दिया गया। पहले टेंडर में शर्त थी कि सर्विस प्रोवाइडर के पास सेंट्रलाइज्ड कॉल सेंटर और जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम हो।

यह सेवा सेंट्रलाइज्ड कॉल सर्विस विद जीपीएस ट्रैकिंग से मैनेज करने की शर्त थी। बाद में इसमें संशोधन करके यह प्रावधान हटा दिया कि कॉल सेंटर की कोई आवश्यकता नहीं है। मोबाइल मेडिकल वैन सर्विस देने वाली कंपनी को कॉल सेंटर और जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम से अलग कर दिया।

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