बदलते गांवों का वर्णन है ‘सांझी सांझ’ की कविता पुस्तक में

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The changing villages are described in the poetry book 'Sanjhi Sanjh'
The changing villages are described in the poetry book 'Sanjhi Sanjh'

जयपुर। ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन की ओर से आयोजित होने वाले पाठक पर्व में शनिवार को दो पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति भवन में हुए इस कार्यक्रम में तीन पुस्तकों पर भी चर्चा भी की गई। इसमें वक्ताओं ने इन पुस्तकों की विषय वस्तु को गंभीर विमर्श के योग्य बताया।

कार्यक्रम की शुरुआत में लेखक प्रदीप सिंह चौहान की पुस्तक ’साझी सॉंझ’ की कविता और डॉ.रेखा खेराड़ी की पुस्तक ’हिन्दी में डायरी लेखन का स्वरूप’ का लोकार्पण किया गया। ‘सांझी सांझ’ की कविता पुस्तक में प्रदीप सिंह ने अपने परिवेश, संस्कृति, परिस्थितियों और विविधताओं को साहित्यिक कौशल के साथ प्रस्तुत किया हैं। इन कविताओं में कहकहों की चौपालें, मुस्कुराते आंगन, परेशानी पढ़ते मुखिया, पहचान करती पीढिय़ाँ, हांफता शहर और रेंगते गांव का स्वाभाविक चित्रण है।

समय के साथ परिवर्तन की आँधी से प्रभावित गाँव, खेत, खलिहान, पुरातन प्रतिमान और ग्रामीण जीवन की चिंताओं पर अपना काव्यात्मक चिंतन हैं। एकाकीपन को ढोते मानव समुदाय को बहुत शिद्दत के साथ समझते हुए चौहान ने अपने कविताओं में अभिव्यक्त किया है। साथ ही शहर को गांव के आभास की लालसा तथा गाँवों में पसरती शहरी मानसिकता के दर्द को बहुत खूबसूरती से व्यक्त किया हैं।

इसी तरह रेखा खराड़ी ने अपनी पुस्तक ‘हिंदी में डायरी लेखन का स्वरूप’ विकास और परम्परा में डायरी लेखन के इतिहास और वर्तमान पर प्रकाश डाला है। डायरी लेखन साहित्यकार के व्यक्तित्व को उभारता है। डायरियों से लेखक या साहित्यकार अपने निजी जीवन और जीवन-संघर्ष, विरोधाभासों, विडंबनाओं को उजागर करता है। तब लेखक की निजी डायरी पूरे समुदाय का दर्द बयान करती है। इस पुस्तक में उसी संघर्ष, वर्ण व्यवस्था, सामाजिक चेतना एवं नए वर्ग के उत्थान को चित्रित किया गया है। डायरी से समाज के मानव मूल्यों एवं तत्कालीन महत्वपूर्ण सामाजिक समस्याओं का अध्ययन किया गया है। डायरी का आज पत्रकारिता, संपर्क एवं सूचना क्रांति के समय में महत्व और बढ़ गया है। इस अनुसंधान से लेखकों एवं साहित्यकारों के निजी जीवन और उसके जीवन के अनुभवों की जानकारी होगी।

इसके पश्चात राही मासूम रज़ा की पुस्तक ’आधा गांव’ पर प्रबोध कुमार गोविल ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि, इस पुस्तक में उसे समय के समाज की स्थितियों का वर्णन है। उसे समय कैसे हिंदू मुसलमान मिलकर रहते थे और बाद में विभाजन के समय की परिस्थितियों से दुखी लोग बताए गए हैं। यह पुस्तक उन्होंने अपने गांव गंगोली में रहकर लिखी थी। संजय बारू की एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर पर डॉ नीरज रावत ने कहा कि, इस पुस्तक में सरकारी के कामकाज में कई लोगों का हस्तक्षेप और राजनीतिक पार्टी के कारण होने वाली परेशानी, भ्रष्टाचार पर प्रधानमंत्री की चुप्पी भी बताई गई है।

पन्ना लाल पटेल की पुस्तक ’मानवीनी भवाई’ पर दिनेश पांचाल ने पाठक के रूप में अपनी बात रखते हुए कहा कि इस पुस्तक में राजस्थान में पड़े छप्पणियां अकाल की परिस्थितियों का वर्णन है और यह एक प्रेम कथा में कैसे-कैसे मोड़ आते हैं वह भी बताया गया है।

कार्यक्रम संयोजक प्रमोद शर्मा ने बताया कि पाठक पर्व में पुस्तकों की विषय वस्तु पर चर्चा की जाती है और अपने विचार प्रकट किए जाते है। इस अवसर पर नंद भारद्वाज, राजेंद्र बोडा, जगदीश शर्मा,ईश्वर दत्त माथुर, राव शिवपाल सिंह, पायल गुप्ता, अमित कल्ला, डॉक्टर सुभाष शर्मा, आर डी सैनी, राजेश मेठी आदि उपस्थित रहे।

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