द्वितीय वीजीयू आर.के. रस्तोगी मेमोरियल राष्ट्रीय नेगोशिएशन प्रतियोगिता सत्र सम्पन्न

0
295
2nd VGU R.K. Rastogi Memorial National Negotiation Competition Session concluded
2nd VGU R.K. Rastogi Memorial National Negotiation Competition Session concluded

जयपुर। विवेकानन्द ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने द्वितीय आर.के.रस्तोगी मेमोरियल नेशनल नेगोशिएशन प्रतियोगिता 2024 का उदघाटन सत्र सम्पन्न हुआ। एडिशनल सोलिसिटर जनरल राजस्थान हाई कोर्ट राजदीपक रस्तोगी ने राधा कृष्ण रस्तोगी के जीवन के कई आयामों पर प्रकाश ढालते हुए कहा कि ऐसी विभुतियां बहुत लम्बे समय तक दुबारा नहीं आती हैं उन्होनें कहा की श्री रस्तोगी न केवल उच्च कोटी के अधिवक्ता थे वरन मानवीय गुणों से भी ओतप्रोत थे और एक अच्छे अधिवक्ता होने के नाते उन्होनें उनके सामने आये विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने का प्रयास किया जिससे विधि क्षेत्र के लोगों को शिक्षा लेनी चाहिए।

रस्तोगी ने यह भी कहा कि यदि रावण हनुमान जी की बात मानते हुए सीता माता को लोटा देते तो लंका का दहन नहीं होता एवं यदि दुर्योधन भगवान श्री कृष्ण की बात को मान लेते तो महाभारत नहीं होती।

मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधिपति ए.जी.मसीह ने कहा की वर्तमान परिस्थितियों में जहां न्यायालयों में विभिन्न केसेज का अम्बार लगा हुआ है वहां इस समस्या ने निजात पाने का एक कारगर उपाय आपसी बातचीत से है। न्यायधीश मसीह ने यह भी कहा कि आपसी बातचीत से विवादों को निस्तारित करना इस राष्ट्र की पुरातन परम्परा रही है साथ ही यह भी कहा कि इस प्रक्रिया में अधिवक्ताओं का बहुत बड़ा योगदान हो सकता है कि वे अपने पक्षकारों को किसी भी विवाद को आपसी समझोते से सुलझाने के लिए प्रेरित करें।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति मनिंदर मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि जो विद्यार्थी इस प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं और जो भविष्य में अधिवक्ता, जज या नेगोसिएटर बनेंगे उनका मानसिक सोच इस प्रकार का होना चाहिए कि जब भी कोई विवाद उनके सामने आये, उन विवादों को न्यायालयों में लाने से पहले ही सम्बन्धित पक्षकारों को आपसी समझोते से न्यायालय के बाहर ही निस्तारित करने हेतु अपना पूर्ण योगदान दें जिससे ना केवल न्यायालय में बढते हुए केसेज की संख्या कम होगी अपितु पक्षकारों में आपसी सुहाद्र भी बना रहेगा और विवाद भी निस्तारित हो जावेगें।

सम्मानित अतिथि के रूप में न्यायाधिपति अवनीश झिंगन ने यह कहा कि बातचीत से विवादों के समाधान का अन्य कोई अच्छा विकल्प नहीं है और जब दो पक्षकार आपस में विवादों को समझोते के माध्यम से निस्तारित करते हैं तो उन्हे अपने अहम को भी तोडते हुए ऐसा समाधान निकालना चाहिए जो दोनों पक्षकारों को स्वीकार्य हो।

विशिष्ट अतिथि के रूप में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधिपति अजय रस्तोगी ने आर.के.रस्तोगी के व्यक्तिगत गुणों की प्रशंसा करते हुए राजदीपक रस्तोगी द्वारा इस कार्यक्रम के पहल करने के लिए प्रयासों को सराहना की और कहा कि वास्तव में न्यायालयों में विवादों के आने से पुर्व ही आपसी समझौते से विवादों को हल करने का अधिवक्ताओं का भी दायित्व है जिससे की न्यायालयों में बढ़ते हुए केसेज की संख्या को कम किया जा सके। कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाष डालते हुए विधि विभाग की अध्यक्षा डॉ षिल्पा राव रस्तोगी ने नेगोषिएषन के महत्व को बताया और कहा कि आपसी बातचीत से यदि विवादों का हल नहीं किया जाता है तो ऐसा भी हो सकता है कि एक पक्षकार कुछ पाने की चाह में सब कुछ गवां बैठे।

वीजीयू के चेयर पर्सन डॉ ललित के. पंवार ने अतिथियों का स्वागत करते हुए इस अभिनव प्रयोग की सराहना की और इसे आज की युग की बढी आवश्यकता बताया।

वीजीयू के संरक्षक डॉ के.राम एवं संस्थापक डॉ. के.आर. बगडिया ने व्यवहारिक उदाहरण देते हुए बताया कि आपसी बातचीत से समस्याओं का समाधान इस राष्ट्र में नया नहीं है और ग्रामीण क्षेत्रों में तो बातचीत के माध्यक से बडी-बडी समस्याऐं निपट जाती है और अपने गांव का उदाहरण देते हुए कहा कि इस विद्या के कारण उनके गांव में कई वर्षों तक किसी भी प्रकार की कोई भी कानूनी कार्यवाही किसी भी व्यक्ति द्वारा नहीं की गयी। अंत में वीजीयू विश्वविद्यालय के लॉ विभाग के डीन प्रो. पी.पी. मितरा ने समस्त अतिथियों को धन्यावाद व्यापित किया और यह बताया की कि किस प्रकार ऐसे प्रयासों से न्यायालय में बढ़ते हुए केसेज की संख्या कम की जा सकती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here