जयपुर। राजस्थान सिन्धी अकादमी द्वारा झालाना संस्थानिक क्षेत्र, जयपुर स्थित अकादमी संकुल में शुक्रवार को मासिक अदबी गोष्ठी का आयोजन किया गया। अकादमी सचिव योगेन्द्र गुरनानी ने बताया कि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डा.खेमचंद गोकलानी ने की। गोष्ठी में जोधपुर के वरिष्ठ रंगकर्मी एवं साहित्यकार हरीश देवनानी ने ’सिन्धी नाटक-कल्ह, अजु ऐं सुभाणे’ विषयक आलेख प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा कि आजकल सिन्धी बोलने और समझने वालों की संख्या में कमी हो रही है। जिसका असर सिन्धी नाटकों पर भी पड़ा है। फलस्वरूप जीवंतता के लिये नाटकों की बजाय रिकार्डेड सिन्धी नाटक मंचित हो रहे हैं। इसलिये माताओं को प्राथमिकता से अपने बच्चों से सिन्धी में वार्तालाप करनी चाहिए। इससे सिन्धी नाटकों का भविष्य संवर सकता है।
गोष्ठी में साहित्यकार गजेन्द्र रिझवानी ने अपनी नवीन कहानी ’ब किरदार’ की सुन्दर प्रस्तुति दी। डा.रूपा मंगलानी ने ’महात्मा गांधी जो अहिंसा जो सिद्वान्त’ विषयक आलेख में बताया कि महात्मा गांधी ने अहिंसा को अपने जीवन में उतारा। उन्होंने केवल मानव की मानव के प्रति नहीं बल्कि सभी जीवों/प्राणियों के प्रति सद्भावना को बढ़ाया साथ ही उन्होंने ’अहिंसा’ पर स्वरचित कविता भी सुनाई।
पार्वती भागवानी ने ’नवरात्रा’ विषयक आलेख में नवरात्रि क्यों व कैसे मनाए जाते हैं के संबंध में विस्तार से बताया। उन्होंने माता के नौ रूपों की महिमा व जीवन में उसका महत्व समझाया। हेमनदास मोटवानी ने ’डियारी एवं धनतेरस’ कविताओं का पाठ किया। हेमा मलानी ने ’इंदिरा वासवाणी जी कहाणियुनि जी छंड-छाण’ विषयक एवं डा.जानकी मूरजानी ने ’कृष्ण खटवाणी जे नाविल संत डींह जी समालोचना’ विषयक समालोचना प्रस्तुत की।
गोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार डा.माला कैलाश, पूजा चंदवानी, नन्दिनी पंजवानी, रोमा चांदवानी, श्याम गोवरानी, वंदिता आहूजा, योग्यता इसरानी, कविता इसरानी, महेश किशनानी, गोपाल, माया वसंदानी तथा सिन्धी भाषी साहित्यकार, पत्रकार, अकादमी के पूर्व सदस्य एवं समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे । गोष्ठी का संचालन पूजा चंदवानी ने किया। अकादमी सचिव ने सभी आगन्तुकों का आभार प्रकट किया।