एएसआई की पत्नी का फूटा दर्द : मुख्यमंत्री को बचाने में शहीद हो गए पति, मुख्यमंत्री हमारे पास आए तक नहीं

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ASI's wife's pain burst out: Husband was martyred while saving the Chief Minister
ASI's wife's pain burst out: Husband was martyred while saving the Chief Minister

जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के काफिले की दो गाड़ियों को एक टैक्सी ने टक्कर मार दी थी। इस हादसे में दो लोगों की जान जा चुकी है। बुधवार को एएसआई ने दम तोड़ दिया था और गुरुवार को टैक्सी ड्राइवर की मौत हो गई। गुरुवार सुबह जयपुर पुलिस लाइन में सुरेंद्र सिंह को श्रद्धांजलि देने के बाद पत्नी सविता सिंह का दर्द फूट पड़ा।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को बचाते हुए मेरे पति शहीद हो गए। मुख्यमंत्री हमारे पास आए क्या? उनको कहना चाहिए था कि मेरी वजह से हुआ है। अगर वो बीच में खड़े नहीं होते, उनको नहीं बचाते, साइड में हो जाते तो क्या करते? हमें रिटन में चाहिए, हम किस पर विश्वास करें। हमारी मांगें पूरी होनी चाहिए। मेरे पति तो चले गए, अब मैं बच्चों को लेकर कहां जाऊं।

मीडिया से बात करने के दौरान महिला पुलिस अफसर ने सुरेंद्र सिंह की पत्नी को रोकने की कोशिश की। सविता सिंह ने नाराज होकर अधिकारी से कहा कि आप रुकिए। आपको पता नहीं है, मेरे साथ क्या हो रहा है। मुझे बोलने दीजिए, आप खींच रहे हो मुझे। मुख्यमंत्री को यहां होना चाहिए। हमें मुख्यमंत्री से बात करनी है।

उनको यहां आना चाहिए। पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ ने परिजनों को मौखिक आश्वासन दिया है कि उनके सभी मांगें मान ली जाएंगी। परिजनों ने सुरेंद्र सिंह को शहीद का दर्जा देने, मृतक के बेटे को तहसीलदार की नौकरी देने और मृतक की बेटी को टीचर की नौकरी देने की डिमांड रखी थी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार करीब 25 साल की पुलिस सर्विस में सुरेंद्र सिंह ज्यादातर जयपुर में ही पोस्टेड रहे। सुरेंद्र सिंह 6 महीने पहले ही ट्रांसफर होकर ट्रैफिक में आए थे। साल 1992 बैच के सुरेंद्र सिंह नीमराना (अलवर) के गांव काठ का माजरा के रहने वाले थे। उनके पिता रोहिताश इंडियन आर्मी में कैप्टन थे। सुरेंद्र सिंह राजस्थान पुलिस में कॉन्स्टेबल पद पर भर्ती हुए थे।

साल 2018 में प्रमोशन के बाद एएसआई बने थे। जयपुर के करणी विहार इलाके में सुरेंद्र सिंह पत्नी और बेटा-बेटी के साथ रह रहे थे। उनका बेटा एमबीबीएस के बाद इंटर्नशिप कर रहा है। बेटी यूपीएससी की तैयारी कर रही है। उनके पिता गांव में ही रहते हैं। सुरेंद्र सिंह तीन बहनों के इकलौते भाई थे।

अगले साल एसआई के पद पर प्रमोट होने वाले थे

एएसआई सुरेंद्र सिंह की तीन बड़ी बहनें हैं और वे सबसे छोटे बेटे और इकलौते भाई थे। गांव के बाहर खेतों में उनके माता-पिता का मकान बना हुआ है। सुरेंद्र सिंह खुद जयपुर के वैशाली नगर में अपने मकान में रहते थे। 1992 में राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल के पद पर भर्ती हुए थे। साल 2013-14 में प्रमोशन होने के बाद एएसआई बने थे। साल 2025 में एसआई के पद के लिए प्रमोट होने वाले थे। उनकी पत्नी सविता (51) स्कूल में पढ़ाती है। सुरेंद्र सिंह के एक बेटा आकाश (28) और एक बेटी कोमल (23) है।

राजकीय सम्मान से हुआ अंतिम संस्कार

एएसआई सुरेंद्र सिंह (52) का गुरुवार शाम करीब 4 बजे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। पुलिस ने जवानों द्वारा गॉर्ड ऑफ ऑनर देने के बाद बेटे आकाश ने मुखाग्नि दी। इससे पहले पार्थिव देह को जयपुर से करीब दो बजे पैतृक गांव बहरोड़-कोटपूतली में नीमराणा के गांव काठ का माजरा लाया गया। नीमराना के हीरो चौक से लेकर घर तक करीब ढाई किलोमीटर की दूरी तक युवाओं द्वारा तिरंगा यात्रा निकाली गई।

इस दौरान सुरेंद्र सिंह अमर रहे के नारे गूंजते रहे। मां किताब देवी ने बेटे को आखिरी बार दुलारा तो हर किसी की आंखें नम हो गई। तिंरगा यात्रा के साथ बड़ी संख्या में लोग घर पहुंचे। पत्नी सविता अंतिम दर्शनों के दौरान काफी देर तक पास में बैठकर रोती रही, जिसे परिजनों ने संभाला। अंतिम दर्शनों के बाद एएसआई की पार्थिव देह को श्मशान घाट ले जाया गया।

टैक्सी ड्राइवर की मौत

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के काफिले में टैक्सी घुसाने वाले ड्राइवर पवन की गुरुवार को इलाज के दौरान मौत हो गई। इस हादसे में एएसआई सुरेंद्र सिंह की पहले ही जान चली गई थी। हादसे में घायल 4 पुलिसकर्मियों का इलाज चल रहा है। हादसा बुधवार दोपहर तीन बजे अक्षयपात्र सर्किल पर हुआ था। घायल टैक्सी ड्राइवर को महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गुरुवार दोपहर इलाज के दौरान ड्राइवर ने दम तोड़ दिया।

पवन के 20 दिन पहले हुआ था बेटा

पवन करौली का रहने वाला था। जगतपुरा सात नंबर बस स्टैंड के पास किराए पर रहता था। साथ में पत्नी और दो बच्चे भी रहते थे। एक बच्चा ढाई साल का है। दूसरा बच्चा 20 दिन का। डेढ़ साल पहले ही विदेश से नौकरी छोड़कर जयपुर आया था। विदेश में करीब डेढ़ साल नौकरी की थी। पवन के पास अरब देश यूएई का रेजिडेंट आइडेंटिटी कार्ड मिला है। वह यूएई में भी ड्राइवर था।

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