परिवहन कार्यालय जयपुर ने की जब्त वाहनों की सार्वजनिक नीलामी प्रक्रिया प्रारंभ

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Transport Office Jaipur started the public auction process of seized vehicles
Transport Office Jaipur started the public auction process of seized vehicles

जयपुर। परिवहन कार्यालय जयपुर (द्वितीय) की ओर से राजस्थान मोटरयान कराधान अधिनियम 1951 एवं राजस्थान मोटरयान कराधान नियम 1951 के तहत टैक्स में जब्त वाहनों की सार्वजनिक नीलामी प्रक्रिया प्रारंभ की गई। जहां आरटीओ जयपुर की ओर से संबंधित वाहन स्वामियों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं। जिसमें उन्हें निर्देश दिया गया है कि वह निर्धारित समय-सीमा के भीतर बकाया कर,पेनल्टी एवं अन्य देय शुल्क का भुगतान कर अपने वाहन को छुड़ाएं। इसके बाद ऐसे वाहनों को सार्वजनिक नीलामी में रखा जाएगा।

जिला परिवहन अधिकारी जयपुर द्वितीय संजय शर्मा ने बताया कि राजस्थान राज्य में अन्य राज्यों में पंजीकृत ऐसे वाहन जो बिना नियमित कर (टैक्स) जमा कराए तीस दिवस से अधिक समय तक संचालित हो रहे हैं। उनके विरुद्ध परिवहन विभाग की ओर से राजस्थान मोटरयान कराधान अधिनियम 1951 एवं राजस्थान मोटरयान कराधान नियम 1951 के तहत लगातार प्रवर्तन कार्रवाई की जा रही है। इस क्रम में उड़न दस्तों ने ऐसे कई वाहनों को जब्त किया गया है।

हालांकि जब्त किए गए कई वाहनों के स्वामियों ने अब तक निर्धारित कर,पेनल्टी एवं अन्य शुल्क जमा कर उन्हें रिलीज नहीं करवाया है। अतः विभाग की ओर से राजस्थान मोटरयान कराधान अधिनियम 1951 एवं राजस्थान मोटरयान कराधान नियम 1951 के तहत इन वाहनों की सार्वजनिक नीलामी की प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है।

परिवहन निरीक्षक राजेश कुमार चौधरी ने बताया कि आरटीओ जयपुर द्वितीय की ओर से संबंधित वाहन स्वामियों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं, जिसमें उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे निर्धारित समय-सीमा के भीतर बकाया कर, पेनल्टी एवं अन्य देय शुल्क का भुगतान कर अपने वाहन को छुड़ाएं। यदि निर्धारित समय-सीमा के भीतर वाहन स्वामी अपने वाहनों का कर जमा नहीं करते हैं, तो ऐसे वाहनों को सार्वजनिक नीलामी में रखा जाएगा।

सार्वजनिक नीलामी से प्राप्त राशि से बकाया कर एवं अन्य देय शुल्क की वसूली की जाएगी। यदि नीलामी से प्राप्त राशि निर्धारित बकाया राशि से कम होती है तो शेष राशि की वसूली राजस्थान मोटरयान कराधान अधिनियम 1951 एवं राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम के तहत वाहन स्वामी की चल-अचल संपत्ति से की जाएगी।

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