शिक्षा-सूत्र भारतीय संस्कृति के दो सर्व मान्य प्रतीक: डॉ मिश्रा

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Education-formula are two universally accepted symbols of Indian culture: Dr Mishra
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जयपुर। यज्ञोपवीत संस्कार की परम्परा को पुन: स्थापित करने के उद्देश्य से मानसरोवर स्थित इस्कॉन मंदिर में सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार महोत्सव और गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया गया। बटुकों को मेखला, कोपीन और दंड धारण कराया। यज्ञोपवीत का पूजन कर ब्रह्मा, विष्णु, महेश, यज्ञ और सूर्य पंच देवताओं का आह्वान कर पूजन किया गया। इसके बाद पांच यज्ञोपवीत धारियों ने बटुकों को यज्ञोपवीत धारण कराई।

इसके बाद बटुकों ने सूर्य दर्शन और त्रिपदा पूजन किया। इसके बाद बटुकों ने वेद मंत्रोच्चार के साथ गायत्री महायज्ञ में आहुतियां प्रदान की। आचार्य महेंद्र मिश्रा वैदिक शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान की ओर से आयोजित संस्कार महोत्सव में बटुक सौम्य मिश्रा, अथर्व शर्मा, हर्ष शर्मा, गोपेश शर्मा, लड्डू शर्मा, रोहितात्मज शर्मा, दीपेशात्मज शर्मा, वंश शर्मा, चिंतन शर्मा, कौटिल्य पुरोहित, काव्येश शर्मा ने माता-पिता सहित अन्य उपस्थित बड़े लोगों से भिक्षा मांगी।

जयपुर नगर निगम हैरिटेज के चैयरमेन पवन नटराज, आचार्य महेंद्र मिश्रा वैदिक शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान की संरक्षक गीता देवी शर्मा, अध्यक्ष सुरेश शर्मा, उपाध्यक्ष अनिल शर्मा नटराज, मानद सचिव डॉ आचार्य महेंद्र मिश्रा, डॉ .रेखा शर्मा, पं. गोपाल तुंगा, पं. रोहित दौसा,पंडित दीपक सुकार, पं. दीपक वृंदावन, पं. सुरेश शास्त्री सहित अन्य गणमान्य लोगों ने बटुकों को आशीर्वाद प्रदान किया।

अध्यक्षीय उद्बोधन में ज्योतिषाचार्य डॉ. महेंद्र मिश्रा ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार यज्ञोपवीत संस्कार जन्म से या माता के गर्भ से आठवें वर्ष या अधिकतम दस वर्ष में हो जाना चाहिए। यज्ञोपवीत संस्कार से बालक द्विज बनता है। बालक एक बार मां के गर्भ से जन्म लेता है दूसरी बार उसका जन्म तब होता है जब वह यज्ञोपवीत धारण करता है।

इसलिए सनातन धर्मावलंबियों को अपने बालकों का यज्ञोपवतीत संस्कार अवश्य कराना चाहिए। ब्राह्मण बालक का जब तक यज्ञोपवीत संस्कार नहीं होता है तब तक विप्र कहलाने का भी अधिकारी नहीं होता। वह कर्मकांड या वेद पाठ करने के भी योग्य नहीं है। स्कंद पुराण में लिखा है जन्म से सभी शूद्र होते हैं संस्कार से ही द्विज बनता है। शिक्षा और सूत्र भारतीय संस्कृति के दो सर्व मान्य प्रतीक है। यज्ञोपवीत गायत्री की सूत्र प्रतिमा है।

सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार महोत्सव पांच जून को :

गोविंद देवजी मंदिर के अधीनस्थ रामगंज चौपड़ स्थित मंदिर श्री मुरली मनोहर जी में महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्न्निध्य में गायत्री जयंती -गंगा दशमी पर पांच जून को सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। विभिन्न मंदिरों के संत-महन्तों के सान्निध्य में अभिजीत मूहूर्त में यज्ञोपवीत संस्कार संपन्न होगा।

अभी तक 35 बटुकों का पंजीकरण हो चुका है। बटुकों को मुंडन करवाकर ही आना होगा। डॉ प्रशांत शर्मा ने बताया गंगा दशमी पर सुबह 7 बजे विद्वतजनों द्वारा ग्रह शांति की जाएगी। उल्लेखनीय है कि सभी सनातन धर्म में उत्पन्न सभी बालकों का निश्चित समय पर यज्ञोपवीत संस्कार होना अनिवार्य है।

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