जयपुर। अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद अब छत्तीसगढ़ की बेटी और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जननकी माता कौशल्या के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य प्रगति की ओर है। गुरुवार को जयपुर में ऐतिहासिक क्षण सामने आया है, जब मां कौशल्या की प्रतिमा के शिलापूजन किया गया। बताया जा रहा है कि ये प्रतिमा मंदिर के गर्भगृह में विराजमान की जाएगी।
कौशल्या धाम परियोजन के संचालक श्री रामबालक दास महात्यागी ने बताया कि जिस प्रकार सालों के संघर्ष के बाद अयोध्या में श्री रामलला को विराजमान किया गया,ठीक उसी तरह तीन युगों के बाद कौशल प्रदेश की बेटी मां कौशल्या का यह भव्य धाम बनने जा रहा है। यह धाम जयपुर में तैयार किया जा रहा है। गौरतलब है कि 108 फीट ऊंचा यह मंदिर वर्ष 2026 तक बनकर तैयार हो जाएगा। मंदिर निर्माण के लिए बंशी पहाड़ से खास पत्थर मंगवाए हैं। यह निर्माण कार्य भारतीय वास्तुकला, धर्म और मातृत्व की भावना को समर्पित है।
श्रीरामबालक दास महात्यागी ने बताया कि अब तक माता कौशल्या का न कोई मंदिर था और न कोई तीर्थं और धार्मिक प्रतीकात्मक स्थल। उन्होने कहा कि मेरा जन्म छत्तीसगढ़ में हुआ है और मेरे मन में यह विचार आया कि मातृभूमि और माता कौशल्या के लिए कुछ करना चाहिए। इस संकल्प के साथ इस मंदिर की नींव रखी गई है।
108 फीट ऊंचा बनेगा मंदिर,माता कौशल्या और रामलला होंगे विराजमान
बताया जा रहा है कि इस मंदिर की ऊंचाई 108 फीट होगी और माता कौशल्या और रामलला की मूर्ति इस मंदिर में स्थापित की जाएगी। जो मकराना के संगमरमर पत्थर से निर्मित होगी। इस मंदिर में कुल 108 मूर्तियां स्थापित की जाएगी। 108 फीट के इस मंदिर का निर्माण बंशी पहाड़ विशेष पत्थरों से किया जा रहा है।
प्रसिद्ध मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे बनाएंगे मां कौशल्या की प्रतिमा
बताया जा रहा है कि जयपुर के प्रसिद्ध मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे ने ही अयोध्या में राम दरबार की मूर्तियों का निर्माण किया था और वहीं अब मां कौशल्या की प्रतिमा का निर्माण करेंगे। मूर्तिकार सत्यनारायण ने बताया कि जिस मां कौशल्या ने राम को जन्म दिया,उन्हें आज मूर्ति रूप में प्रकट किया जा रहा है। इस प्रतिमा निर्माण की अनुभूति अलौकिक है । जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
ऐसे बनाई जा रहीं है मां कौशल्या की प्रतिमा
मूर्तिकारा सत्यनारायण ने बताया कि मां कौशल्या की प्रतिमा निर्माण से कलाकार सुनील विश्वकर्मा ने मां कौशल्या का स्केच तैयार किया है। जिसके पश्चात गंगा की पवित्र मिट्टी से क्ले मॉडल बनाया। जिसके बाद उसकी प्रतिमा का निर्माण शुरु किया । विभिन्न प्रतिमाओं में एक प्रतिमा में माता कौशल्या की गोद में भगवान राम बाल स्वरूप में नजर आएंगे।
ये है मान्यता
श्री राम बालक दास ने बताया कि वेदों में इस बात का उल्लेख है कि मां कौशल्या का जन्म महाकौशल में हुआ था। एक प्रसंग के अनुसार महानदी तट पर उनका जन्म स्थान था। महानदी छत्तीसगढ़ में बहती है। इसलिए जब राम के मामा गांव का जिक्र आता है तो वह छत्तीसगढ़ से जुडता है। इसी भूमि पर भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के 10 वर्ष बिताए। शबरी के बेर,केवट की कथा,रामायण की कई घटनाएं इसी क्षेत्र से जुड़ी हुई है। लव-कुश तक का संबंध भी छत्तीसगढ़ से रहा है। भगवान श्रीराम ने मिट्टी से बने शिवलिंग को भी यहीं स्थापित किया था।




















