जयपुर जिला प्रशासन के प्रयासों से बदली मंदिर ठिकाना गलता जी की तस्वीर

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The picture of the temple of Galtaji changed due to the efforts of Jaipur district administration
The picture of the temple of Galtaji changed due to the efforts of Jaipur district administration

जयपुर। गुलाबी नगरी जयपुर में लाखों करोड़ो श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र गलता तीर्थ इन दिनों विरासत को सहेजकर विकास की ओर लगतार अग्रसर है। जयपुर जिला प्रशासन के प्रयासों से मंदिर ठिकाना गलता जी की तस्वीर बदली बदली नजर आ रही है। सुनियोजित विकास से पल्लवित हो रही इस ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक धरोहर की दिव्यता एवं भव्यता को सैलानियों एवं श्रद्धालुओं की सराहना मिल रही है।

अतिरिक्त जिला कलक्टर अशीष कुमार ने बताया कि जिला कलक्टर एवं प्रशासक मंदिर ठिकाना गलता जी डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी के रचनात्मक सोच और पहल से गलता तीर्थ एक बार फिर से अपने दिव्य एवं भव्य स्वरूप में लौटने लगा है। जिला प्रशासन की ओर से 11 करोड़ 94 लाख रुपये की लागत से मंदिर ठिकाना गलता जी के जीर्णाद्वार एवं सौन्दर्यकरण करवाया गया है।

सैलानियों और श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं विकसित की जा रही है। जिला प्रशासन ने ना केवल गलता तीर्थ में पवित्र मंदिरों एवं कुंडों की साफ-सफाई के साथ-साथ जीर्णोद्धार एवं सौंदर्यीकरण करवाया गया है, बल्कि यहां कि ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक विरासत को सहेजने का कार्य भी किया है।

उन्होंने बताया किया गलता परिसर में गलता तीर्थ के इतिहास का हिन्दी व अंग्रेजी में वर्णन करने वाली शिलालेख उर्त्कीण करवाए गए हैं। गलता जी से घाट के बालाजी तक हैरिटेज पोल लगाकर सुन्दर व आकर्षक लाईटे लगाई गई है साथ ही गलजा जी तक पैदल आने-जाने हेतु पाथवे विकसित किया गया है। जिला प्रशासन के द्वारा कोबल स्टोन कार्य, नाला कम पार्किग का कार्य, स्वागत द्वार, गेन्ट्री बोर्ड, बाहरी दीवारों पर कड़ा, खमीरा कार्य, रेड सेंड कार्य, पत्थर की जालियां, सेल्फी पॉईट विकसित करवाया गया है। जिला प्रशासन के प्रयासों का ही परिणाम है कि आज गलता तीर्थ का अनुपम स्वरूप एक बार फिर से सैलानियों को आकर्षित कर रहा है।

साथ ही, जिला प्रशासन द्वारा मंदिर ठिकाना गलता जी के विकास लिए अत्याधुनिक सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। गलता मंदिर की व्यवस्थाओं को सुद्दढ़ एवं चुस्त-दुरुस्त करने के लिये जिला प्रशासन ने गलता मंदिर परिसर एवं घाट के बालाजी पर 15 नाइट वीजन तकनीक से लैस सीसीटीवी कैमरे लगवाए जा रहे हैं। कैमरों के द्वारा अब जिला प्रशासन द्वारा वहां होने वाली सम्पूर्ण गतिविधियों पर अपनी नजर रख रहा है। वन विभाग द्वारा गलताजी क्षेत्र में वनावरण बढ़ाने की दिशा में प्रयास किये गए हैं साथ ही आकर्षक फूलों वाले पौधे एवं बेल भी लागाई गई है जो गलता तीर्थ की खूबसूरती में चार चांद लगा रही हैं।

समृद्धशाली विरासत समेटे हुए है गलता तीर्थ का इतिहास

अरावली पहाड़ियों से घिरा यह मंदिर कई मंदिरों, पवित्र कुंडों, मंडपों और प्राकृतिक झरनों से घिरा है। इस दिव्य भव्य मंदिर एक पहाड़ी इलाके के बीच में स्थित है जो एक खूबसूरत घाटी से घिरा हुआ है जो देशी विदेशी सैलानियों को आकर्षित करता है।

गलता जी मंदिर का निर्माण दीवान राव कृपाराम ने करवाया था, जो महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय के दरबार में सेवादार थे। मंदिर परिसर का निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ था। मंदिर के निर्माण से पहले भी यह स्थान वैश्य रामानंदियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हुआ करता था।

कई इतिहासकारों के अनुसार 16वीं शताब्दी की शुरुआत से ही गलताजी रामानंदी संप्रदाय से जुड़े साधू संतो के लिए एक आश्रय स्थल रहा है और जोगियों के कब्जे में रहा है। ऐसा माना जाता है कि संत गालव ने अपना सारा जीवन इस पवित्र स्थल पर सौ वर्षों तक तपस्या करते हुए बिताया था। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर देवता उनके सामने प्रकट हुए और उनके पूजा स्थल को प्रचूर जल से आशीर्वाद दिया।

गालव ऋषि का सम्मान करने के लिए यहाँ गलताजी मंदिर का निर्माण किया गया और इसका नाम उनके नाम पर रखा गया। किंवदंती है कि तुलसीदास ने इसी स्थान पर पवित्र रामचरितमानस के अंश लिखे थे। कहा जाता है कि गालव ने कई दशकों तक यहां ध्यान किया था और उन्हें झरनों का आशीर्वाद मिला था। यही कारण है कि मंदिर परिसर का नाम ऋषि गालव के नाम पर रखा गया है।

गलता तीर्थ अरावली पहाड़ियों में स्थित है और घने आलीशान पेड़ों और झाड़ियों से घिरा हुआ है। यह उल्लेखनीय इमारत चित्रित दीवारों, गोल छतों और स्तंभों से सुसज्जित है। कुंडों के अलावा, इस प्रागैतिहासिक हिंदू तीर्थस्थल में मंदिर के भीतर भगवान राम, भगवान कृष्ण और भगवान हनुमान के मंदिर भी हैं। जयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक, मंदिर परिसर में प्राकृतिक मीठे पानी के झरने और सात पवित्र ’कुंड’ या पानी की टंकियां हैं। इन कुंडों में, ’गलता कुंड’ सबसे पवित्र है और माना जाता है कि यह कभी सूखता नहीं है। ’गौमुख’, एक गाय के सिर के आकार की चट्टान से शुद्ध और साफ पानी टंकियों में बहता है।

इस शानदार मंदिर को पारंपरिक मंदिर की तुलना में भव्य महल या ’हवेली’ जैसा दिखने के लिए डिज़ाइन किया गया है। गलताजी मंदिर में एक सुंदर और भव्य परिदृश्य है जिसमें समृद्ध हरी वनस्पतियां हैं और जयपुर शहर का एक शानदार नजारा है। यह मंदिर यहां पाई जाने वाली अनेक बंदर जनजातियों के लिए जाना जाता है तथा धार्मिक भजन और मंत्रोच्चार, प्राकृतिक वातावरण के साथ मिलकर पर्यटकों को शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करते हैं।

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