हाईड्रोलिक रथ पर विराजमान हुए भगवान जगन्नाथ

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Lord Jagannath seated on hydraulic chariot
Lord Jagannath seated on hydraulic chariot

जयपुर। जगन्ननाथ पुरी धाम की तर्ज पर शुक्रवार को छोटीकाशी में कई स्थानों से भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्राओं का आयोजन किया गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान का रथ खींचा। मुख्य 15वीं रथ यात्रा गुप्त वृंदावन की ओर से कलेक्ट्रेट सर्किल के पास से जयकारों के साथ रवाना हुआ। इस रथ यात्रा का शुभारंभ सिविल लाइंस विधानसभा क्षेत्र के विधायक गोपाल शर्मा व मेयर कुसुम यादव ने किया।जिसमे पूरे शहर से लाखों लोगों ने भाग लिया। भक्तों ने भगवान की भक्ति में आनंदित होकर 108 फीट लम्बी रस्सी से भगवान का रथ खींचा और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।

मंदिर अध्यक्ष अमितासना दास ने बताया कि सजे धजे नंदीघोष रथ पर विराजे भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के अलौकिक दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। गाजेबाजे और लवाजमे के साथ निकली रथ यात्रा में श्रद्धालु हरे कृष्ण हरे राम का संकीर्तन करते हुए चल रहे थे। लोग आगे-आगे सडक़ पर बुहारी लगाते हुए चल रहे थे। जगह-जगह पुष्प वर्षा कर रथयात्रा का स्वागत किया गया।

मार्ग में अनेक विशिष्टजनों ने भगवान की अगवानी की और आरती उतारी। रथयात्रा खासा कोठी, गवर्नमेंट हॉस्टल चौराहा, एमआई रोड, पांच बत्ती, अजमेरी गेट, न्यू गेट, अल्बर्ट हॉल होते हुए रात को राजस्थान स्काउट एंड गाइड्स के पास स्थित शिव भवन पहुंची। यहां भगवान की महाआरती उतारी। उन्होने बताया कि जो भक्त भगवान को उनके रथ पर देखता है और उनका रथ खींचता है तो उसके सारे पापों का नाश होता है और उसका पुनर्जन्म नहीं होता।

हाईड्रोलिक रथ रहा आकर्षण का केन्द्र

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में अहमदाबाद में तैयार किया हुआ विशेष हाईड्रोलिक रथ आकर्षण का केंद्र रहा। भगवान जगन्नाथ,बलभद्र और सुभद्रा को इस हाईड्रोलिक रथ में विराजमान किया गया। रथ की विशेष बात यह है कि रथ यात्रा के दौरान रास्ते में कहीं भी बिजली के तार आते है तो उनसे बचने के लिए रथ की ऊंचाई को कम ज्यादा किया जा सकता है। ताकी रथ यात्रा के दौरान किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। भगवान के रथ को खींचने के लिए भक्तों में होड़ सी मची रहीं और सभी भक्तों ने बारी-बारी से भगवान के पूरे जोश और भक्ति के साथ खींचते हुए आगे बढ़ते रहें।

इसलिए होता हर वर्ष रथ यात्रा का आयोजन

मंदिर अध्यक्ष अमितासना दास ने बताया की भगवान कृष्ण को द्वारिका से वृंदावन वापस ले जाने के लिए वृंदावन वासियों ने भगवान का रथ अपने हाथों से खींचा था। भगवान कृष्ण वृंदावन वासियों के इस प्रेम को देखकर भाव-विभोर हो गए थे। इसी याद में हर वर्ष रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। जिसमें लाखों की संख्या में भक्तगण भगवान श्री जगन्नाथ की सेवा में उपस्थित होते है।

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