June 29, 2025, 8:49 pm
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एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के घर की तलाशी में मिली 40 लाख से अधिक रुपए की नगदी

जयपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की जयपुर ग्रामीण टीम ने शुक्रवार देर रात कार्रवाई करते हुए एसीबी भीलवाड़ा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जगराम मीणा के जयपुर स्थित आवास पर छापा मारकर 40 लाख से अधिक की नकद राशि एवं करोड़ों रुपए बाजार मूल्य की चल अचल संपत्ति के दस्तावेज बरामद किए है।

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो पुलिस महानिदेशक डॉ. रवि प्रकाश मेहरडा ने बताया कि एसीबी मुख्यालय को मिली सूत्र सूचना के आधार पर 27 जून (शुक्रवार)को देर शाम को एसीबी भीलवाड़ा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जगराम मीणा को 9 लाख 50 हज़ार रुपए की संदिग्ध राशि के साथ जयपुर आते हुए पकड़ा था। ये कैश कहां से आया इसका वह ठीक से जवाब नहीं दे सके।

जिस पर एसीबी जयपुर ग्रामीण टीम के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुनील सिहाग के नेतृत्व में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जगराम मीणा के थाना रामनगरिया क्षेत्र में स्थित निवास पर छापा मारकर तलाशी ली गई। कार्रवाई के दौरान आरोपी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के निवास से 40 लाख रुपए से अधिक नकदी, लाखों रुपए के सोने चांदी के आभूषण एवं करोड़ों रुपए बाजार मूल्य की चल-अचल संपत्ति के दस्तावेज बरामद किए गए।

बरामद नकद राशि के अधिक होने के कारण मौके पर टीम को नोट गिनने की मशीन मंगवानी पड़ी। तलाशी के दौरान आरोपित की आवास से महंगी एवं विदेशी ब्रांड की भारी मात्रा में शराब की बोतल भी बरामद हुई। जिसकी सूचना थाना रामनगरिया को दी गई।

एसीबी सूत्रों के अनुसार आरोपित जगराम मीणा एसीबी चौकी भीलवाड़ा चौकी में पोस्टेड है और उनका दो दिन पहले ही झालावाड़ से ट्रांसफर हुआ था। उसके खिलाफ कई शिकायतें विजिलेंस विग को मिली थीं। इसलिए वह दो महीने से रडार पर थे। आरोपित अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जगराम मीणा परिवहन, खनन, आबकारी और पुलिस डिपार्टमेंट के अधिकारी-कर्मचारियों से वसूली कर रहा थे। इससे पहले भी आरोपित जगराम मीणा दो बार ट्रैप होते-होते हुए बच गया था।

एक बार एएसपी सुरेन्द्र पर कार्रवाई की तो जगराम झालावाड़ ही पैसे छोड़कर जयपुर आ गए। इसके बाद मामला ठंडा पड़ा तो अगला पैसे तो लेकर आया,लेकिन कार बदलकर आया। इसलिए पकड़ने से बच गया। अब बुधवार रात को एसीबी हैड क्वार्टर ने तबादला कर दिया तो जगराम जल्दबाजी में जो पैसे रखे थे, उन्हें लेकर जयपुर रवाना हो गए।

एसीबी की प्राथमिक जांच में सामने आया कि जब भी जगराम वसूली के पैसे लेकर आते तो खुद चलाकर निजी कार से आते, नहीं तो सरकारी गाड़ी से ड्राइवर के साथ आता थे।

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