June 30, 2025, 9:34 pm
spot_imgspot_img

नेट-थियेट पर संगीत गीता कार्यक्रम में गीता के उपदेशों की सरल और सहज प्रस्तुति ने मंत्रमुग्ध किया

जयपुर। नेट-थियेट कार्यक्रमों की श्रृंखला में संगीत गीता कार्यक्रम में कलाकार राजवंश नरूका श्रीमद्भागवत गीता के अध्याय 7 में वर्णित भगवत ज्ञान को गीतों के माध्यम से प्रस्तुत कर सभी को गीतांजित कर दिया।

नेट-थियेट के राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि श्रीमद् भागवत गीता, जो कि जीव का संविधान है किंतु संस्कृत में होने की वजह से आमजन इसके अमृत लाभ को पा न सका, इसलिए 35 वर्ष पूर्व सवाई सिंह नरूका ने गीता के 700 श्लोक को सरल हिंदी गीत के रूप में रच दिया ताकि इसे संगीत के साथ गीत के रूप में हर कोई गा सके और समझ सके

कलाकार राम वंश ने गीता के सातवें अध्याय श्रीकृष्ण उवाच मैं श्री कृष्ण के उपदेश

पार्थ !मेरे आसक्त मन, मुझको समज्ञ मान । मम आश्रित हो योग करें, तू यह सब कुछ जान कहता हूं तुझे रहस्य ज्ञान सब, इस से बढ़कर कुछ भी नहीं, फिर इसे जान कर के जग में तो, योग्य समझने कुछ भी नहीं ।

सहस्त्र मनुष्यों में कोई ही यत्न मेरे हित करता है । उन यत्नशील योगी की में, बिरला मम तत्व समझता है , उपदेश को संगीतबद्ध कर बड़े ही सुरीले स्वरों में उसे गाकर लोगों को धर्म की राह पर चलने का संदेश दिया । इनके साथ सह गायक पुनीत गुप्ता ने बहुत ही अच्छा साथ निभाकर इन गीतों को सुरीले अंदाज में पिरोया ।

इनके साथ पहली बार एक छोटी बालिका रूही अग्रवाल ने गीता के इन श्लोक को बहुत सहजता से गाया। इनके साथ सिंथेसाइजर पर जतिन शर्मा और तबले पर अमित सिंह चौहान ने संगत कर संगीत गीता को ऊंचाइयां दी । कार्यक्रम संयोजक नवल डांगी, प्रकाश एवं कैमरा मनोज स्वामी, मंच सज्जा डॉ मुकेश कुमार सैनी, गुलशन कुमार चौधरी, अंकित शर्मा नोनू एवं जीवितेश शर्मा की रही।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

25,000FansLike
15,000FollowersFollow
100,000SubscribersSubscribe

Amazon shopping

- Advertisement -

Latest Articles