जयपुर। कालवाड़ रोड पर पंखा पंचायत समिति के पास स्थित श्री खेली वाले हनुमान मंदिर में हो रही श्री हनुमंत कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ से अकिंचन महाराज ने हनुमान चालीसा की विविध चौपाइयों की सारगर्भित व्याख्या की।
अकिंचन महाराज ने कहा कि श्री हनुमान जी के भीतर अतुलनीय बल है, जिसकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती। फिर भी वे पूर्णतया अहंकार रहित हैं।
हनुमान का वास्तविक अर्थ ही है जिसने अपने मान (अहंकार) का हनन कर लिया है। उन्होंने कहा कि हनुमान जी ने असंभव कार्यों को भी सहजता से किया, लेकिन उनके हृदय में अभिमान का लेशमात्र भी स्थान नहीं था। उन्होंने सदा स्वयं को छोटा माना, यही कारण है कि उन्हें बाल हनुमान कहा गया है। इसके विपरीत आज के समय में हम स्वयं को बड़ा मानते हैं लेकिन हमारे कार्य छोटे होते हैं।
हनुमान जी हमें यह प्रेरणा देते हैं कि विनम्रता एवं सेवा भाव से ही महान कार्य संभव होते हैं। कथा के बाद हनुमान चालीसा पाठ किया गया। डीडी ग्रुप के निदेशक ओमप्रकाश शर्मा और सरिता दाधीच ने हनुमान जी की आरती उतारी।
उल्लेखनीय है कि डीडी ग्रुप की ओर से 108 श्री हनुमंत चरित्र कथाओं की श्रृंखला चलाई जा रही है। श्रृंखला के अन्तर्गत यह 31वीं कथा है।